रायपुर/CG DMF Scam कोरबा। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी के बाद दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में हुए DMF घोटाले में केवल कोरबा जिले में 2000 करोड़ के DMF के फंड में 5 से 6 सौ करोड़ की कमीशनखोरी हुई है। ED ने प्रेसनोट जारी कर यह खुलासा किया है.
CG DMF Scam
ED ने बताया है कि ED, रायपुर ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत डीएमएफ (जिला खनिज निधि) घोटाले से जुड़े छत्तीसगढ़ में 13 स्थानों पर 01.03.2024 को तलाशी अभियान चलाया है।
CG DMF Scam
ईडी ने राज्य सरकार के अधिकारियों और राजनीतिक अधिकारियों की मिलीभगत से डीएमएफ ठेकेदारों द्वारा सरकारी खजाने से पैसे निकालने में शामिल होने के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज 03 अलग-अलग FIR के आधार पर जांच शुरू की। यह मामला छत्तीसगढ़ में जिला खनिज निधि के धन के उपयोग में भ्रष्टाचार से जुड़ा है।
CG DMF Scam
“DMF खननकर्ताओं द्वारा वित्त पोषित एक ट्रस्ट है, जिसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।”
इस तरह हुई कमीशन की बंदरबांट
ED की जांच से पता चला कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक अधिकारियों को भारी मात्रा में कमीशन/अवैध परितोषण का भुगतान किया है, जो अनुबंध मूल्य का 25% से 40% तक है। रिश्वत के भुगतान के लिए उपयोग की जाने वाली नकदी विक्रेताओं द्वारा आवास प्रविष्टियों का उपयोग करके उत्पन्न की गई थी। केवल जिला कोरबा को DMF निधि में इसकी स्थापना से वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 2000 करोड़ रूपये मिले।
कमीशन की प्रचलित दर के अनुसार, अकेले कोरबा में कमीशन की राशि 500-600 करोड़ रुपये होगी। पूरे राज्य के डेटा का विश्लेषण और अपराध की आय की मात्रा निर्धारित करने का काम चल रहा है।
ED ने जप्त किये 27 लाख रूपये नगद
तलाशी अभियान के दौरान नकदी रुपये की बरामदगी भी हुई। 27 लाख (लगभग) जब्त किया गया है। इसके अलावा, डिजिटल और डॉक्यूमेंट के रूप में कई अन्य आपत्तिजनक साक्ष्य भी बरामद और जब्त किए गए हैं। आगे की जांच जारी है.
कई IAS अफसर ED की राडार मे
कोरबा सहित अन्य जिलों में हुए DMF घोटाले में अब तक किसी भी बड़े अधिकारी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। कोरबा में बतौर कलेक्टर पदस्थ रहीं रानू साहू कोल लेवी के मामले में फ़िलहाल जेल में बंद है। DMF का कानून 2015 में अमल में आया, और इसके बाद हर साल अकेले कोरबा जिले में 6 से 7 सौ करोड़ रूपये का फंड DMF के खाते में जमा हुआ। तब से लेकर अब तक इस जिले में DMF का बेतरतीब तरीके से खर्च हुआ है।
जिले में तब से पदस्थ रहे अधिकांश कलेक्टर की अध्यक्षता में यहां ऐसे काम DMF से हुए हैं, जिनमें जमकर कमीशनखोरी हुई। ED ने फिलहाल छोटे स्तर के अधिकारियों को जांच में लिया है। अगर इस एजेंसी ने निष्पक्ष कार्रवाई की तो कोरबा ही नहीं बल्कि कई जिलों में पदस्थ रहे कलेक्टर समेत कई विभागों के अधिकारी, राजनेता और ठेकेदार जेल की सलाखों के पीछे होंगे। बहरहाल देखना है कि ED आगे किस तरह की कार्रवाई करती है।