बालको(संतोष कुमार सारथी) The bullying of BALCO बालको के सुरक्षाकर्मी अब इस कदर गुंडा गर्दी मे उतर आये हैं की आस पड़ोस मे रहने वाले युवको पर बेरहमी से लाठी डंडे से पिटाई करने लगे है मानो सुरक्षा कर्मी न होकर मजिस्ट्रेट जैसा व्यवहार करने आमादा है बालको की बाउंड्री के अंदर युवकों को ऑन दे स्पॉट सजा दे दी हालंकि इसकी शिकायत बालको थाने मे की गयी है बालको पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया है.
The bullying of BALCO
जानकारी के अनुसार अनाधिकृत रूप से बालको प्लांट के अंदर प्रवेश करने पर चार युवकों नाबालिग सहित हिमांशु चौहान,साहिल कंवर मनीष कुर्रे पर बालको प्लांट के सुरक्षाकर्मियों ने डंडे एवं लाठियों से वार करते हुए चारों की बेरहमी से पिटाई की गई है। मामला यही शांत नहीं हुआ सुरक्षा कर्मियों ने उन चार युवको को युवकों को परसाखोला के जंगल मे छोड़कर आ गए युवक किसी तरह घर पहुचे और और इसकी जानकारी अपने परिजनों को दी तब परिजन थाने पहुंचकर इसकी शिकायत दर्ज कराई पुलिस ने मामला दर्ज तो कर लिया है लेकिन अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
The bullying of BALCO
बतादे की गुरुवार को परसाभाटा निवासी युवक अपने तीन दोस्तों के साथ बालको प्लांट के चारों तरफ निर्मित बाउंड्री वॉल में बने छेद के सहारे प्लांट के भीतर प्रवेश किए थे। जहां सुबह 11:00 के करीब प्लांट के भीतर पोकलेन मशीन से मिट्टी और स्क्रैप हटाने का कार्य को देख रहे थे इसी बीच बालको प्लांट में तैनात सुरक्षा कर्मियों की नजर चारों युवकों पर पड़ी जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने युवकों को गाली गलौज देने के साथ ही लाठी एवं डंडे से बेरहमी से पिटाई कर दी है।
सुरक्षाकर्मियों द्वारा मारपीट करने के बाद युवकों को परसाखोला के जंगल में छोड़ देने का आरोप भी सुरक्षाकर्मियों पर लगाया है। पूरे मामले में बालको थाना में अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है.
बालको की गुंडई नेताओं की चुप्पी किस ओर इशारा कर रही है The bullying of BALCO
बालको का यह पहला मामला नहीं है बल्कि बालको के सुरक्षा कर्मी आये दिन लोगों से बदशालुकी और मारपीट किया करते है लेकिन वाह रे कोरबा के जनप्रतिनिधि बालको की इस गुण्डागर्दी पर ख़ामोशी अख्तियार किये हुए है यह ख़ामोशी बहुत कुछ बयां कर रही है चुनाव के वक्त बड़ी बड़ी बात कर वोट हासिल करने वाले ये नेता बालको की गुंडागर्दी को अपने स्वार्थ की चादर ढँक कर खुली छुट्टी दे रखे है मगर यह भूल गए की चुनाव तो फिर आना है. अब देखना यह है की बालको पुलिस सुरक्षा कर्मियों को गिरफ्तार करती है या फिर यह मामला भी जाँच की भेंट चढ़ जायेगा.
बतादे की बालको ने सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध तो कर लिया है लेकिन BNS की धारा
296,115(2) 3(5) के तहत मामला दर्ज है आइये समझते है इन धाराओं के बारे मे
BNS की धारा 296
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 296, सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें और गाने करने से जुड़ी है. इस धारा के तहत, सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरकतें करने या अश्लील गाने गाने वालों को सज़ा हो सकती है.
इस धारा के तहत सज़ा के बारे में ज़रूरी बातेंः
इस अपराध में तीन महीने तक की जेल हो सकती है.
एक हज़ार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
दोनों सज़ाएं हो सकती हैं.
यह एक संज्ञेय अपराध है. इसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के अपराधी को गिरफ़्तार कर सकती है.
यह एक ज़मानती अपराध है. इसका मतलब है कि आरोपी को ज़मानत मिल सकती है.
इस धारा का मकसद सार्वजनिक जगहों पर शालीनता बनाए रखना और अशांति को रोकना है.
इस धारा के तहत अपराध की स्थितिः
सड़क, पार्क, बाज़ार, या किसी भी ऐसी जगह पर अश्लील हरकतें करना या अश्लील गाने गाना
किसी सार्वजनिक आयोजन, जैसे कि उत्सव, मेला, या किसी और सार्वजनिक कार्यक्रम मेंअश्लील हरकत करना.
इस धारा का इस मामले से दूर दूर का कोई लेना देना नहीं है न ही बालको प्लांट के अंदर का हिस्सा सार्वजानिक है और न ही वहां कोई अश्लील गाने इत्यादि चल रहे थे और न ही अश्लील हरकते हो रही थी अब इस धारा को लगाने वाले ही बता सकते है की इस धारा को यहाँ क्यों लगाया गया.
BNS की धारा 115(2) धारा 323 का नया वर्जन
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115 (2) स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध से जुड़ी है. इस धारा के तहत, अगर कोई व्यक्ति जान-बूझकर किसी को चोट पहुंचाता है, तो उसे सज़ा दी जाती है.
इस धारा से जुड़ी कुछ खास बातें:
पहले यह अपराध भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 के तहत आता था.
कानून को ज़्यादा स्पष्ट और आधुनिक बनाने के लिए इस धारा का रूपांतरण किया गया.
इस धारा के तहत, चोट पहुंचाने वाले व्यक्ति को सज़ा हो सकती है.
चोट पहुंचाने के अपराध में सज़ा की गंभीरता, अपराध की प्रकृति और पीड़ित को हुए नुकसान पर निर्भर करती है.
चोट पहुंचाने के अपराध में जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
BNS की धारा 3(2)
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 3(5) का मतलब है कि अगर कोई अपराध कई लोगों ने मिलकर किया है, तो सभी को उस अपराध के लिए एक जैसी सज़ा मिलेगी. इसका मतलब है कि समूह में शामिल हर व्यक्ति को उस अपराध के लिए उसी तरह से ज़िम्मेदार माना जाएगा, जैसे कि उसने अकेले अपराध किया हो.