भारत में बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ा है। द लैंसेट जर्नल में पब्लिश एक वैश्विक विश्लेषण के अनुसार 12.5 मिलियन में से 7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियां मोटापे का शिकार है। दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है। बच्चों और किशोरों में 2022 में मोटापे की दर 1990 की दर से चार गुना थी।
बता दें कि दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है। मोटापा और कम वजन दोनों ही कुपोषण के रूप हैं और कई मायनों में लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। बता दें कि एनसीडी रिस्क फैक्टर कोलैबोरेशन (एनसीडी-आरआईएससी) वैज्ञानिकों का एक वैश्विक नेटवर्क है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि दुनिया के बच्चों और किशोरों में, 2022 में मोटापे की दर 1990 की दर से चार गुना थी।
मोटापे की महामारी अब बच्चों में दिख रही
यूके में इंपीरियल कॉलेज लंदन के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर माजिद इज्जती ने कहा ‘यह बहुत चिंताजनक है कि मोटापे की महामारी जो 1990 में दुनिया के अधिकांश हिस्सों में वयस्कों में दिखती थी वो अब स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में भी दिखाई देने लगी है। साथ ही, करोड़ों लोग अभी भी कुपोषण से प्रभावित हैं, खासकर दुनिया के कुछ सबसे गरीब हिस्सों में कुपोषण बढ़ता जा रहा है।
879 मिलियन वयस्क जी रहे मोटापे के साथ
बात करें वयस्कों के मोटापे की तो, वैश्विक मोटापे की दर महिलाओं में दोगुनी से अधिक और पुरुषों में लगभग तीन गुना हो गई है। स्टडी के अनुसार, कुल मिलाकर, 2022 में 159 मिलियन बच्चे और किशोर और 879 मिलियन वयस्क मोटापे के साथ जी रहे थे।
भारत में, वयस्क मोटापे की दर 1990 में 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में महिलाओं के लिए 9.8 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 0.5 प्रतिशत से 5.4 प्रतिशत हो गई है। 2022 में लगभग 44 मिलियन महिलाओं और 26 मिलियन पुरुषों को मोटापा था।