कोरबा लोकसभा में किसकी गलेगी दाल ? दोनों पार्टियों ने झोंकी ताकत..

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कोरबा :- छत्तीसगढ़ में तीसरे और अंतिम चरण में चार लोकसभा क्षेत्र में चुनाव होना है दोनों ही पार्टियों के राष्ट्रीय नेताओं और स्टार प्रचारकों का दौरा कार्यक्रम निरंतर जारी है.

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कोरबा लोकसभा इस बार भाजपा के लिए खास सीटों में से एक है किसी भी हाल में इस बार भाजपा कोरबा लोकसभा जीतना चाहती है इस बार कोरबा लोकसभा से भाजपा पार्टी ने अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय को मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस पार्टी वर्तमान सांसद और नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत की पत्नी ज्योतसना महंत मैदान में हैं!

भाजपा के लिए क्या है नफा और नुकसान..

कोरबा लोकसभा क्षेत्र के लिए भाजपा पार्टी के कई स्थानिय नेता टिकट के दावेदार थे लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने स्थानीय नेताओं को महत्व नहीं दिया सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पाण्डेय दुर्ग, रायपुर, राजनंदगांव या महासमुंद क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन पार्टी द्वारा कराये गये सर्वे रिपोर्ट के आधार पर केन्दीय नेतृत्व को लगा सरोज पाण्डेय इन क्षेत्रों से चुनाव हार सकती है और कोरबा लोकसभा क्षेत्र में स्थानीय नेताओं की लंबी दावेदारों की लिस्ट और नेताओं की आपसी गुटबाजी को देखते हुए सरोज पाण्डेय को मैदान में उतारा गया है!

लेकिन सरोज पाण्डेय के लिए कोरबा लोकसभा फतेह कर पाना एकदम आसान दिखाई नहीं पड़ रहा है स्थानीय दावेदार नेताओं में नाराजगी है वही बात करें आम मतदाताओं की तो भाजपा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय के प्रति रुझान कम दिखाई पड़ रहा है लोगों के मन में कांग्रेस पार्टी और नाराज भाजपा नेताओं के द्वारा सरोज पाण्डेय को बाहरी प्रत्याशी बताया जा रहा है जो मतदाताओं के दिलोदिमाग़ पर घर बना चुका है हालात और चुनावी हवा देखकर नहीं लगता की “कोरबा के पानी में दुर्ग वाली की दाल कितनी गलेगी परिणाम पर निर्भर है”

स्थानीय दावेदार नेताओं और उनके समर्थकों को लग रहा है अगर यहाँ दुर्ग वाली की दाल गल गई तो फिर हमारा क्या होगा, क्योंकि दुर्ग वाली तो अपने खास दुर्ग के पुराने सिपाहियों को ही महत्व देगी!

भाजपा का जोर प्रचार प्रसार,झंडा, बेनर पोस्टर चारों तरफ दिखाई पड़ रही है लेकिन स्थानीय नेता और उनके समर्थक प्रचार प्रसार के लिए जा तो रहे हैं लेकिन महज़ खानापूर्ति है!

कांग्रेस के लिए क्या है नफा नुकसान..

कांग्रेस पार्टी इस लोकसभा में काफी मजबूत दिखाई पड़ रही है विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी चरम पर थी जिसके कारण करारी हार का सामना करना पड़ा था इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में एकजुटता दिखाई दे रही है और इस चुनाव को जितने के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ रही है!
कांग्रेसियों को चुनाव प्रचार के दौरान जीत की सुगंध आने लगी है, यह ओवर कांफ्रेंस किसे लेकर डूबेगी यह तो समय ही बताएगा?

सरोज पांडेय ने PC में कहा रामपुर विधानसभा के कई क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे स्थानीय, ननकीराम कंवर 6 बार विधायक और चार बार रहे मंत्री जिम्मेदार कौन ?

 

कोरबा लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही डाल के प्रत्याशियों के द्वारा आरोप प्रत्यारोप चला आ रहा है लेकिन अब मतदान को मार्च 5 दिन बच गए हैं हालांकि लोकसभा चुनाव को लेकर कई उम्मीदवार मैदान में है जिसे लेकर दल के नेता अपनी सारी ताकत झोक चुके हैं जिसमें कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार के बीच मुकाबला को मुख्य माना जा रहा है। चुनाव के पूर्व लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे के द्वारा पत्रकार वार्ता रखा गया था जहां पीएम मोदी के संकल्प को लेकर चर्चा किया गया इसी दौरान सरोज पांडे ने कहा रामपुर विधानसभा क्षेत्र में आज भी ऐसे कई गांव है जहां बिजली नहीं है शिक्षा की व्यवस्था के लिए भी गांव के लोग मजबूर हैं इसके साथ ही पीने के पानी तक नहीं होने के कारण लोग स्थानीय जल स्रोतों से अपनी प्यास बुझा रहे हैं भीषण गर्मी के कारण यह भी सूखने के कगार पर है लेकिन उनके इस बयान ने कई सारे सवालों को जन्म दे दिया है आपको बता दें रामपुर विधानसभा क्षेत्र के दिग्गज आदिवासी नेता ननकीराम कंवर इस क्षेत्र के वरिष्ठ नेता है जो छह बार विधायक और चार बार मंत्री रह चुके हैं और विभाजित प्रदेश के समय से वह भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय हैं ऐसे में सवाल यह उठता है क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले आम जनों के समस्याओं से सरोकार रखने वाले भाजपा नेता ननकी राम कंवर के द्वारा क्या क्षेत्र के मूलभूत सुविधाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई या कांग्रेस के स्थानीय नेता पूर्व विधायक मूलभूत सुविधाओं को लेकर किए जाने वाले कार्यों पर अब तक अवरोध निर्मित करते हुए आ रहे है।।

 

हालांकि उन्होंने रामपुर विधानसभा क्षेत्र के किन-किन गांव में इस तरह की समस्या बनी हुई है उन गांव का नाम नहीं बताया है लेकिन उनके द्वारा लगाए गए आरोप में कितनी सच्चाई है इस पर स्थानीय नेता और जनप्रतिनिधियों की स्पष्टीकरण अति आवश्यक है।

 

आखिर ऐसा क्या कारण है प्रदेश के गठन के बाद लगातार 15 सालों तक बीजेपी की सरकार 5 साल तक कांग्रेस की सरकार रहने के बावजूद क्षेत्र के स्थानीय लोग मूलभूत सुविधाओं से जुड़ने के साथ-साथ स्थानीय जल स्रोतों से दूषित पानी पीने का मजबूर है।

लोकसभा चुनाव महज कुछ ही दिन शेष रह गए हैं निर्वाचन को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी समाप्त होने के कगार पर है ऐसे में अब देखना होगा जनता अपने विश्वास का मुहर किसके पक्ष में लगती है यह निर्वाचन के परिणाम के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।

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