Vastu Tips: घर में कैसी हो जल की व्यवस्था, क्या कहता है वास्तु का नियम

- Advertisement -

Vastu Tips: किसी भी भवन में जल भंडारण की व्यवस्था उस घर में रहने वाले लोगों के लिए बेहद जरूरी है। वास्तु में इसके कुछ नियम भी समझाए गए हैं। किसी भी भवन का निर्माण शुरू करने से पहले वहां पानी की टंकी या बोरिंग की जरूरत पड़ती है। जल एक प्रकृति से प्राप्त स्तोत्र है इसलिए जीवन में जल का बड़ा महत्व है। शरीर में भी इसकी मात्रा सर्वाधिक है।

 

- Advertisement -

 

वास्तु के नियम के अनुसार जलीय व्यवस्था ईशान यानी कि उत्तर पूर्व दिशा में होनी चाहिए। इसका सबसे बड़ा कारण पूर्व से सूर्य का उदय होना है। दरअसल जब सूर्य की किरणें जल पर पड़ती है तो उसकी प्रकृति शुद्ध हो जाती है और सूर्य की किरणों की ऊर्जा भी कई गुना बढ़ जाती है। कुआं, टंकी और बोरिंग यानी जलीय व्यवस्था के वास्तु में कुछ नियम है जो कि इस प्रकार है।

1 – जलीय व्यवस्था के लिए सबसे सही जगह ईशान कोण है। ऐसे करने से परिवार के मुखिया और लोगों की समृद्धि होती है।

2 – भूखंड के पूर्वी भाग में जलीय व्यवस्था होने से सुख शांति और धन की प्राप्ति होती है।

3 – आग्नेय कोण में जलीय व्यवस्था होने से मुखिया के पुत्र को कष्ट होता है।

4 – अगर भूखंड की दक्षिण दीक्षा में जलीय व्यवस्था है तो उस घर में रहने वाली स्त्री को कष्ट होगा।

5 – अगर आपने नैऋत्य कोण में जलीय व्यवस्था की है तो उस घर के स्वामी के लिए यह मृत्यु तुल्य कष्ट के समान होता है।

6 – अगर भूखंड के वायव्य कोण में जलीय व्यवस्था की गई है तो उस घर को शत्रुओं से हानि होती है।

7 – आप मकान के पश्चिम भाग में भी जलीय व्यवस्था रख सकते है। ऐसा करने से पुत्र का सुख मिलता है।

8 – भूखंड के उत्तरी भाग में जलाशय हो तो घर के सभी लोगों को समाज में अच्छा मान सम्मान मिलता है।

9 – किसी भी ज़मीन के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान कहा गया है। ऐसे में अगर आप उस हिस्से में जलीय व्यवस्था करेंगे तो आपके लिए बेहद अशुभ होगा।

10- वास्तु के नियम के अनुसार किसी भी मकान का दक्षिण पश्चिम वाला हिस्सा सदैव थोड़ा ऊंचा उठा हुआ होना चाहिए और पूर्व उत्तर का हिस्सा हल्का नीचे, यह तभी सम्भव है जब जलीय व्यवस्था उत्तर पूर्व की ओर की गई हो। बोरिंग और जलाशय पर अगर सूर्य की किरणें नहीं आएगी तो वह स्थान अशुभ हो जाता है इसलिए भी ईशान में जलीय व्यवस्था करना उत्तम माना गया है।

11- नक्षत्र की बात करें तो रोहिणी, पुष्य, मघा, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा और धनिष्ठा नक्षत्र में बोरिंग करानी चाहिए। चंद्रमा अगर मकर, मीन और कर्क में हो तो और भी शुभ है। उस समय की कुंडली यानी की जब आप कुआं खुदवाने जा रहे है उस समय गुरु बुध लग्न में और शुक्र दशम स्थान में हो तो कुआं खुदवाना या जलीय व्यवस्था करना शुभ होता है। सोमवार, गुरुवार, बुधवार और शुक्रवार को ही यह काम करना चाहिए। इसके अलावा आप इस बात का भी ध्यान रखें कि कभी भी बोरिंग के ऊपर पार्किंग नहीं होनी चाहिए और ना ही मुख्य द्वार का वेध होना चाहिए।

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -