Shiva Mahapuran: सर्व देव शिव मंदिर साडा कॉलोनी, सत्संग सुनने से भगवान की प्राप्ति होती है, शिव महापुराण सुनने से समस्त पापों का नाश

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कोरबा:- श्री शिवमहापुराण(Shiva Mahapuran) कि कथा षष्ठम दिवस पर व्यासपीठाचार्य श्री मज्जजगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य जी महाराज प्रयागराज महाराज श्री ने बताया कि भगवान विष्णु के अवतार के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन भगवान शिव के अवतारों के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे और ब्रह्मा के अवतारों के बारे में तो लोग कुछ भी नहीं जानते। गुरु दत्तात्रेय तीनों ही देवताओं के अवतार थे। हालांकि अनसुईया को तीन पुत्र हुए थे जिसमें से एक पुत्र चंद्रमा थे जो कि ब्रह्मा के अवतार थे। आज हम आपको भगवान शिव के अवतारों के बारे में बताते हैं।
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है। कहीं कहीं उनके 24 तो कहीं उन्नीस अवतारों के बारे में उल्लेख मिलता है। वैसे शिव के अंशावतार भी बहुत हुए हैं। हालांकि शिव के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी स्वामी घनश्यामाचार्य जी ने बताया कि शिव के दसावतार – महाकाल तारा भुवनेश षोडष भैरव छिन्नमस्तक गिरिजा धूम्रवान बगलामुख मातंग और कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।

Shiva Mahapuran
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शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र कहते हैं। कपाली पिंगल भीम विरुपाक्ष विलोहित शास्ता अजपाद, आपिर्बुध्य शम्भू, चण्ड तथा भव।… उक्त रुद्रावतारों के कुछ शस्त्रों में भिन्न नाम भी मिलते हैं। इन अवतारों के अलावा शिव के दुर्वासा, महेश, वृषभ, पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात, नतेश्वर और हनुमान आदि अवतारों का उल्लेख भी शिव पुराण में हुआ है जिन्हें अंशावतार माना जाता है महाराज श्री ने कहा कि भगवान शिव का छटा अवतार है शरभावतार। शरभावतार में भगवान शंकर का स्वरूप आधा मृग तथा शेष शरभ पक्षी (पुराणों में वर्णित आठ पैरों वाला जंतु जो शेर से भी शक्तिशाली था) लिंगपुराण में शिव के शरभावतार की कथा है, उसके अनुसार हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंहावतार लिया था। हिरण्यकशिपु के वध के पश्चात भी जब भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ तो देवता शिवजी के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने शरभावतार लिया और वे इसी रूप में भगवान नृसिंह के पास पहुंचे तथा उनकी स्तुति की, लेकिन नृसिंह की क्रोधाग्नि शांत नहीं हुई। यह देखकर शरभ रूपी भगवान शिव अपनी पूंछ में नृसिंह को लपेटकर ले उड़े। तब कहीं जाकर भगवान नृसिंह की क्रोधाग्नि शांत हुई। तब उन्होंने शरभावतार से क्षमा याचना कर अति विनम्र भाव से उनकी स्तुति की कथा का आयोजन श्री राम चरित मानस महिला मंडल साडा कालोनी जमनीपाली द्वारा किया जा रहा है।

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पूर्व केबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल हुए शामिल

साड़ा कॉलोनी जमनीपाली के सप्तदेव शिवमंदिर प्रांगण में आयोजित शिव महापुराण कथा के छठवें दिवस पूर्व केबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल कथा स्थल पहुंचकर कथा श्रवण कर पुण्य लाभ लिया। इस अवसर पर उन्होंने कथावाचक स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज से मिलकर आशीर्वाद लिया और क्षेत्रवासियों के लिए सुख शांति व समृद्धि की कामना की। श्री अग्रवाल ने आयोजन समिति के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कोई भी धार्मिक आयोजनों से जहाँ मातृत्व भाव की भावना जागृत होती है वही क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और कथाओं में अनेकों अवतारों का वर्णन सुनने समझने को मिलता है। इस मौके पर उनके साथ महापौर राजकिशोर प्रसाद, बी एन सिंह, मुकेश राठौर, जे पी अग्रवाल, प्रेम अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, अवधेश सिंह, बैजनाथ अग्रवाल, राजेन्द्र तिवारी सहित अन्य श्रद्धालुओं ने भी आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया और कथा श्रवण किया।

 

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