नयी दिल्ली : Gyanesh will be the Chief Election Commissioner of India चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे. वो राजीव कुमार की जगह लेंगे. राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं. ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किए जाने की अधिसूचना के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने असहमति नोट भेजा है.
चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे. वो राजीव कुमार की जगह लेंगे. राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं. जारी अधिसूचना में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम-2023 के खंड 4 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है.
Gyanesh will be the Chief Election Commissioner of India

बता दें कि ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. पिछले साल मार्च से वो चुनाव आयुक्त के पद पर हैं. ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किए जाने की अधिसूचना के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने असहमति नोट भेजा है. उन्होंनेसुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सुनवाई के चलते पहले बैठक स्थगित करने की मांग की थी.
कांग्रेस ने सवाल उठाए Gyanesh will be the Chief Election Commissioner of India

अधिसूचना जारी होने से पहले आज पीएमओ में चयन समिति की बैठक हुई थी. इसमें पीएम मोदी, अमित शाह और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शामिल हुए थे. कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बैठक बुलाने में मोदी सरकार द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं. पार्टी ने चयन समिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी को होने वाली सुनवाई के दृष्टिगत बैठक स्थगित करने की मांग की.
कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन, वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी और गुरदीप सप्पल ने बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
सरकार को बैठक स्थगित करनी चाहिए : कांग्रेस Gyanesh will be the Chief Election Commissioner of India

सिंघवी ने कहा, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. 19 फरवरी को सुनवाई है. ऐसे में सरकार को बैठक को स्थगित करनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुनवाई प्रभावी रूप से हो. इस नए कानून के अनुसार प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की समिति मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करती है, लेकिन इसमें कई संवैधानिक और कानूनी समस्याएं हैं.
उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को एक फैसले में कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश की समिति होनी चाहिए. वर्तमान समिति इस आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा, अगर केवल कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया होगी, तो यह आयोग को पक्षपाती और कार्यपालिका की शाखा बना देगा.
मुख्य न्यायाधीश को समिति से बाहर रखने का क्या कारण?
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाना चाहिए. वर्तमान समिति को जानबूझकर असंतुलित किया गया है, जिसमें केंद्र को दो तिहाई वोट दिए गए हैं.
उन्होंने कहा, सरकार का उद्देश्य है कि ऐसा चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाए जो कभी भी सरकार के खिलाफ न खड़ा हो सके. उन्होंने पूछा, मुख्य न्यायाधीश को इस समिति से बाहर रखने का कारण क्या है. इस सवाल का न तो संसद में और न ही बाहर कोई उत्तर दिया गया है. अगर यह चयन प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है तो इसके दीर्घकालिक प्रभाव भारतीय चुनाव प्रणाली की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर पड़ेगा.