चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी, 1.66 करोड़ से अधिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कटे

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नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने 1.66 करोड़ से ज्यादा नाम वोटर रोल से हटा दिए हैं। वहीं रिवाइज लिस्ट में 2.68 करोड़ से ज्यादा लोगों के नाम शामिल भी किए गए हैं। इसके साथ ही 2024 में होने वाले आम चुनाव में वोट डालने के लिए योग्य मतदाताओं की स्ख्या 97 करोड़ हो गई है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 6 को छोड़कर बाकी राज्यों में मतदाताओं का रिवीजन किया गया है। असम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राज्सथान, मिजोरम और तेलंगाना को इससे अलग रखा गया है।

संविधान बचाओ ट्रस्ट की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में मांग की गई थी कि वोटर लिस्ट से डुप्लीकेट नामों को छांट दिया जाए और उनकी जानकारी उपलब्ध करवाई जाए। पीआईएल पर सुनवाई कर रही सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने चुनाव आयोग से ब्यौरा मांगा था। चुनाव आयोग ने उन लोगों के आंकड़े पेश किए जिनकी मृत्यु या फिर नाम रिपीट होने की वजह से नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। बेंच मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को करेगी।

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ऐडवोटेक अमित शर्मा ने चुनाव आयोग का हलफनामा कोर्ट में पेश किया। इसमें बताया गया कि 1 जनवरी 2024 तक कुल 2,68,86,109 नए वोटरों को जोड़ा गया है वहीं मृत्य, डुप्लिकेशन या फिर लोगों के कहीं और शिफ्ट होने की वजह से 1,66,61,413 नाम हटाए गए हैं। आयोग के पैनल की तरफ से बताया गया कि इस समय देश में 96,82,54,560 मतदाता लिस्टेड हैं। इनमें से 1.83 लोग 18 साल से 19 साल के एज ग्रुप के हैं जो कि पहली बार वोट डालेंगे।

बता दें कि साल में एक बार ही चुनाव आयोग एसएसआर (स्पेशल समरी रिवीजन) करवाता है। असम में परिसीमन की वजह से एसएसआर नहीं करवाया गया था। वहीं अन्य पांच राज्यों में हाल ही में पांच राज्यों में विधासभा चुनाव कराए गए हैं इसलिए बाकी राज्यों में एसएसआर करवाया गया। हलफनामे में कहा गया कि लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी एसएसआर है।

वहीं चुनाव आयोग के हलफनामे के बाद एनजीओ की तरफ से सीनियर ऐडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने कोर्ट में कहा कि इस जवाब में यह नहीं पता लगता कि कितने नाम डुप्लीकेट थे जिन्हें डिलीट किया गया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर की तरफ से जिला स्तर के चुनाव अधिकारियों को जारी किए जाने वाले दस्तावेज को पेश करते हुए कहा कि उसमें भी शिफ्ट हुए और मृत्यु का डेटा दर्ज था लेकिन उन लोगों के बारे में नहीं बताया गया था जिनके नाम डुप्लिकेट होने की वजह से हटाए गए।

चुनाव आयोग ने कहा कि कई चरणों में जानकारी लेने के बाद रिवीजन होता है। इसमें हाउस टु हाउस सर्वे भी शामिल होता है। बूथ लेवल ऑफिसर के पास से डेटा मिलने के बाद एक ड्राफ्ट तैयार किया जाता है और उसके बाद रोल रिवीजन होता है। आयोग ने कहा कि अगस्त 2022 में जो एसओपी जारी की गई थी उसी मुताबिक नए नाम जोड़े जाते हैं। आयोग ने कहा कि अब इसके लिए एक सॉफ्टवेयर भी बनाया गया है।

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