Disadvantages of Eating Too Much Dry Fruits : बादाम, पिस्ता और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट्स स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. वे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जिनमें काफी ज्यादा फैटी एसिड जो दिमाग के लिए बहुत अच्छा होता है और उच्च गुणवत्ता वाले फाइबर, प्रोटीन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं. जो पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होता है.
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक हर रोज नट्स खाने चाहिए इससे दिल से जुड़ी बीमारी का जोखिम, वजन का बढ़ना और पुरानी यानि क्रोनिक बीमारी का खतरा भी कम होता है.
ज्यादा ड्राई फ्रूट्स दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकता है Disadvantages of Eating Too Much Dry Fruits
रिसर्च में यह भी पता चलता है कि यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. जिससे दिल की बीमारी (सीवीडी) के खतरे को कम कर सकता है. लेकिन आपको इसकी सीमा भी पता होनी चाहिए. कोई भी चीज हद से ज्यादा खाने से शरीर के लिए नुकसानदायक ही साबित हो सकता है.
आज हम आपको नट्स के ओवरइटिंग के साइड इफेक्ट्स के बारे में बात करेंगे. नट्स में हेल्दी फैट, प्रोटीन, फाइबर और ओमेगा -3 फैटी एसिड के साथ-साथ कई तरह के विटामिन, आयरन के अलावा पोषक तत्वों का एक पावरहाउस हैं. कहा जाता है कि उनकी हाई पोषण प्रोफ़ाइल के कारण वे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं.
ज्यादा खाने से ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित हो सकता है Disadvantages of Eating Too Much Dry Fruits
बादाम विटामिन ई से भरपूर होते हैं, हेल्दी फैट में घुलनशील पोषक तत्व होते हैं जो ऑक्सीडेटिव क्षति से आपकी कोशिकाओं की रक्षा करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है. इम्युनिटी बढ़ाता है और दिल की बीमारी के जोखिम को कम करता है. अखरोट ओमेगा-3 जैसे गुणवत्तापूर्ण फैट का एक अच्छा स्रोर्स है,
जो कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड स्तर और हाई बीपी को नियंत्रित करके हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है. ज्यादातर ड्राई फ्रूट्स जैसे पिस्ता, हेज़लनट, मैकाडामिया और काजू विटामिन बी और खनिजों जैसे जस्ता, तांबा, फास्फोरस और मैंगनीज के अच्छे सोर्स हैं जो समग्र हृदय स्वास्थ्य, तंत्रिका संबंधी कार्यप्रणाली और मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायता कर सकते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद कर सकते हैं.
‘जर्नल न्यूट्रिएंट्स’ में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक नट्स के स्वस्थ सेवन से हृदय रोगों (सीवीडी) के खतरे को महत्वपूर्ण स्तर तक कम किया जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें हृदय-स्वस्थ मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट होते हैं, जो कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं. जो सीवीडी के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक हैं.