छत्तीसगढ़ के महासमुंद स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में 417 आदिवासी स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इन बच्चों के लिए न तो पर्याप्त शिक्षक हैं, न पीने का पानी और न साफ टॉयलेट की व्यवस्था। ऐसे में ये बच्चे गंदा पानी पीने और निस्तारी के लिए इस्तेमाल करने को मजबूर हैं।
पिछले 4 दिनों से स्कूल में लगा बोर भी खराब हो गया है। इसके कारण बच्चे नालियों से पानी भरकर ला रहे हैं। पीने और भोजन के लिए तुमगांव नगर पंचायत के टैंकर से पानी पहुंचाने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, लेकिन वह भी साफ नहीं
पानी के साथ ही कई समस्याएं
जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर स्थित इस आदर्श स्कूल में 210 आदिवासी बालिकाएं और 207 बालक पढ़ते हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि पेयजल का ठीक इंतजाम नहीं होने से उनकी सेहत के साथ ही पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
गंदा पानी स्टूडेंट्स की बड़ी समस्या
भोरिंग गांव स्थित इस स्कूल के शुरुआती दिन से आज तक पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। बोर खराब होने से छात्र-छात्राएं स्कूल परिसर से होकर गुजरने वाली नाली से बाल्टी में पानी लाकर नहाने-धोने सहित निस्तारी के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
है।