CG High Court’s decision on love marriage छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा दोनों बालिग है लेकिन शादी वैध नहीं,कोरबा की लड़की को भेजा सखी सेंटर

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कोरबा (ब्लैकआउट न्यूज़) CG High Court’s decision on love marriage  छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में लावे मैरिज के मामले में हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मध्यस्थता केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि युवक और युवती की शादी वैध नहीं है, क्योंकि यह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत नहीं हुई। इसके साथ ही याचिका को निराकृत करते हुए युवती को रायपुर के सखी सेंटर में रखने के निर्देश दिए गए हैं।

दोनों बालिग, लेकिन शादी अवैध: हाईकोर्ट CG High Court’s decision on love marriage 

CG High Court's decision on love marriage 
CG High Court’s decision on love marriage

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा  की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि युवक-युवती दोनों बालिग हैं, इस कारण वे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति में उनकी शादी वैध नहीं मानी जा सकती

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मध्यस्थता केंद्र में भी नहीं बनी बात CG High Court’s decision on love marriage 

 

हाईकोर्ट के निर्देश पर युवती और परिजनों के बीच मंगलवार को मध्यस्थता केंद्र में बातचीत कराई गई। युवती ने परिजनों के साथ जाने से इनकार कर दिया और युवक के साथ रहने की जिद पर अड़ी रही। मध्यस्थता समिति ने स्पष्ट किया कि कोलकाता में हुआ निकाह वैध नहीं है, क्योंकि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पंजीकरण नहीं किया गया।

21 अप्रैल से लापता थी युवती CG High Court’s decision on love marriage 

CG High Court's decision on love marriage 
CG High Court’s decision on love marriage

कोरबा के कटघोरा क्षेत्र की कॉलेज छात्रा 21 अप्रैल को घर से कॉलेज के लिए निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। परिजनों ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। जांच में पता चला कि छात्रा कोलकाता में युवक तौशीफ मेनन के साथ है, जहां दोनों ने मस्जिद में निकाह किया था।

याचिकाकर्ता से कोर्ट ने क्यों मांगी थी 1 लाख की राशि? 

युवक तौशीफ मेनन ने खुद को युवती का पति बताते हुए हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका की गंभीरता और संभावित दुरुपयोग को देखते हुए याचिकाकर्ता से 1 लाख रुपये जमा करने के निर्देश दिए थे। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि शासन की मशीनरी और कोर्ट का समय अनावश्यक रूप से बर्बाद न हो।

युवती को सखी सेंटर भेजने का आदेश

 

कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए युवती को सखी सेंटर में रखने का निर्देश दिया है। साथ ही, जिन शिक्षण संस्थानों और प्रशासनिक संसाधनों को इस केस में लगाया गया, उसके दुरुपयोग की आशंका को भी आधार बनाया गया।

 

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