बिलासपुर: CG High Court decision हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की बर्खास्तगी को सही ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की इच्छा के अधीन नियुक्त व्यक्तियों को किसी भी समय बिना नोटिस, कारण या सुनवाई के हटाया जा सकता है.
CG High Court decision

याचिकाकर्ताओं ने राज्य में नई सरकार द्वारा अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए अर्जी दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है. मामले की सुनवाई जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की सिंगल बेंच में हुई.
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इस मामले में चार याचिकाकर्ता भानु प्रताप सिंह (अध्यक्ष), गणेश ध्रुव, अमृत लाल टोप्पो और अर्चना पोर्टे (सदस्य) शामिल थे, जिन्हें 16 जुलाई 2021 को पिछली सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में नियुक्त किया था.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ‘नामित सदस्य को पद पर बने रहने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. यदि नियुक्ति नामांकन द्वारा हुई है तो सरकार को अधिकार है कि वह ऐसी नियुक्ति को अपनी इच्छा पर समाप्त कर सके. हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, सरकार की इच्छा के अधीन पदधारी को किसी भी समय, बिना नोटिस, बिना किसी कारण और बिना किसी कारण की आवश्यकता के हटाया जा सकता है.
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बता दे कि याचिकाकर्ता भानु प्रताप सिंह (अध्यक्ष), गणेश ध्रुव, अमृत लाल टोप्पो और अर्चना पोर्टे (सदस्य) शामिल थे, जिन्हें 16 जुलाई 2021 को पिछली सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में नियुक्त किया था. ये नियुक्तियां छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग (संशोधन) अधिनियम, 2020 की धारा 3 के तहत हुई थी, जिसमें कहा गया है कि अध्यक्ष और सदस्य ‘राज्य सरकार की इच्छा के अधीन’ पद पर रहेंगे. हालांकि 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार ने 15 दिसंबर 2023 को एक आदेश जारी कर राजनीतिक नियुक्तियों को हटाने का निर्देश दिया. इसी आदेश के तहत याचिकाकर्ताओं को भी उसी दिन बिना कोई नोटिस या सुनवाई के उनके पद से हटा दिया गया.