According to astrology, will Corona return? फिर डरा रहा है कोरोना,क्या कहती है ज्योतिष गणना,2025 में तबाही मचाएगी,जाने कोरोना की भविष्यवाणी

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According to astrology, will Corona return? वर्ष 2025 का आधा हिस्सा बीत चुका है। मई माह पूर्ण होने में आखिरी हफ्ता शेष है और अब जून से इस साल की दूसरी छमाही का आरंभ होने जा रहा है। ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक इस वर्ष युद्ध, आपदा के साथ जलवायु परिवर्तन का योग ग्रहों की दृष्टियों, गोचर और उनकी स्थिति के चलते बना हुआ है।

वर्तमान समय में शनि, राहु, केतु और विशेष रूप से देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन हो चुका है। यह चार वे महत्वपूर्ण ग्रह हैं, जो समाज, राजनीति सहित वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक उथल-पुथल मचाते हैं। लिहाजा देखने वाली बात यह होगी कि आखिर इन ग्रहों के परिवर्तन से किस तरह के योग का निर्माण होगा और उसका नकारात्मक-सकारात्मक प्रभाव किस रूप में देश-दुनिया पर पड़ेगा। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

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शनि का राशि परिवर्तन According to astrology, will Corona return?

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साल 2025 को ज्योतिष दृष्टि से बेहद खास माना गया था, क्योंकि इस वर्ष शनि, गुरु, राहु और केतु का महापरिवर्तन होने वाला था। इन राशि परिवर्तन के आधार पर देश-दुनिया समेत व्यक्ति के निजी जीवन को लेकर कई ज्योतिषाचार्य द्वारा भविष्यवाणी की गई थी। इनमें सबसे पहले न्याय के देवता शनि के राशि परिवर्तन का उल्लेख है।

29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश कर चुके हैं। लेकिन उससे पहले ही ऐसा अनुमान लगाया गया था कि जब भी शनि राशि परिवर्तन करेंगे, तो देश-दुनिया में युद्ध और कई बड़ी घटनाएं घटित हो सकती हैं। ऐसे में देखा गया कि शनि के मीन राशि में गोचर करते ही 29 मार्च 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण घटित हुआ। हालांकि इसे भारत में नहीं देखा गया।

परंतु यह ग्रहण यूरोप, एशिया के उत्तरी इलाकों, अफ्रीका के उत्तरी व पश्चिमी इलाकों समेत नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका के उत्तरी हिस्सों, अटलांटिक व आर्कटिक क्षेत्रों में नजर आया। यही नहीं शनि के मीन में आने से इस राशि में छह ग्रहों की युति भी हुई। ऐसा माना गया है कि जब साल 2019 में कोरोना ने दस्तक दी थी, तब भी इसी तरह 6 ग्रहों की युति बनी हुई थी।

गुरु और राहु-केतु का राशि परिवर्तन According to astrology, will Corona return?

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14 मई 2025 को गुरु वृषभ से अपनी यात्रा को विराम देते हुए मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक जब भी देवगुरु अपनी चाल में बदलाव करते है, तो देश-दुनिया पर इसका खास प्रभाव पड़ता है। मान्यता है कि गुरु ग्रह की असामान्य गति से धरती पर काफी उथल-पुथल मच सकती हैं, वहीं गुरु के बाद 18 मई 2025 को राहु कुंभ और केतु सिंह राशि में प्रवेश कर चुके हैं।

ज्योतिषियों के मुताबिक राहु एक राशि में लगभग 18 महीने तक रहते हैं, इसलिए वह जब भी राशि परिवर्तन करते हैं, तो देश में नई महामारी के आने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में एक बार फिर देश में कोरोना वायरस की दस्तक से लोगों की मुश्किलें बढ़ रही हैं।

शनि-राहु की युति से हो सकती है बड़ी घटना According to astrology, will Corona return?

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शनि मीन राशि में विराजमान है। यह जल तत्व की राशि है। ऐसे में राहु का कुंभ राशि में गोचर शनि से युति निर्माण कर रहा है। ऐसा माना जाता है कि जब भी शनि-राहु युति की होती है, तो व्यक्तिगत स्तर से लेकर देश-दुनिया में कुछ विशेष घटनाएं घटती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता है।

शनि-गुरु की युति According to astrology, will Corona return?

 

जब शनि के मीन राशि में प्रवेश किया था तब गुरु वृषभ राशि में गोचर कर रहे थे। ऐसे में उनका नजदीकी संबंध बना हुआ था, जिससे गुरु की स्थिति कमजोर होती है और विश्व में रोग बढ़ता है। परंतु अब गुरु मिथुन राशि में मौजूद है और यह गोचर एक अतिचारी गति है जिसको ज्योतिष में आसामान्य माना जाता है। यदि गुरु जैसे शुभ ग्रह अतिचारी गति से गोचर करते हैं, तो यह समय अशुभ होता है। इसके अलावा आगामी दिनों में 19 अक्तूबर 2025 को बृहस्पति कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। यह सामान्य अवस्था नहीं है, क्योंकि देवगुरु बृहस्पति एक राशि में लगभग 12 महीने तक रहते हैं।

ऐसे में गुरु के अतिचारी होने से धरती पर उथल-पुथल मच सकती है, चाहे वह सत्ता के क्षेत्र में हो या फिर जनता में। इस दौरान भूकंप की स्थिति और मौसम में भी कई बदलाव आ सकते हैं। हालांकि मौसम में बदलाव लगातार देखा जा रहा है, क्योंकि नौतपा जारी है। सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो नौतपा लगता है जिसमें गर्मी चरम पर होती है।

लेकिन नौतपा में भी लगातार दिल्ली, लखनऊ समेत कई शहरों में बारिश हो रही है। यही नहीं लगातार कोरोना का बढ़ना भी ग्रहों की असामान्य गति है। इसके अलावा मीन राशि में 6 ग्रहों का बना संयोग भी इसकी वजह हो सकता है। जून में गुरु के अस्त होने पर एक बार फिर जातकों की मुश्किलें बढ़ सकती है। वहीं जब साल के अंत में अक्तूबर माह में गुरु कर्क में प्रवेश करेंगे, तब एक बार फिर धरती पर ऐसी उधल पुधल देखने को मिल सकती है।

नोट : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ब्लैकआउट न्यूज़ उत्तरदायी नहीं है।

 

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