छत्तीसगढ़ के पहले चरण में बस्तर लोकसभा में 68.30 फीसदी मतदान हुआ है, लेकिन खूंखार नक्सली हिड़मा के इलाके में वोटर्स घर से ही नहीं निकले। पूवर्ती बूथ में 3 गांवों को मिलाकर कुल 647 मतदाता हैं, जिनमें 2 गांवों के केवल 31 लोगों ने ही वोटिंग की है। जबकि हिड़मा के मूल गांव से तो किसी ने भी वोट नहीं दिया।
दरअसल, बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर एरिया को माओवादियों का गढ़ माना जाता है। इसी इलाके में पूवर्ती गांव है। इस इलाके में मतदान से पहले नक्सलियों ने मतदान बहिष्कार और बीजेपी के खिलाफ बैनर पोस्टर लगाए थे। जिसका असर नक्सल लीडर के गांव में देखने को मिला।
सिलगेर गांव में बनाया गया था मतदान केंद्र
पूवर्ती मतदान केंद्र (नंबर 4) में तीन गांव पूवर्ती, टेकलगुडियाम और जोनागुड़ा शामिल किए गए थे। मतदाताओं के लिए पूवर्ती से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर सिलगेर गांव में मतदान केन्द्र बनाया गया था। पूवर्ती में मतदाताओं की संख्या 332, टेकलगुडियाम में 158 और जोनागुड़ा में 157 है। इस तरह पूवर्ती बूथ पर कुल 647 मतदाता हैं।
पूवर्ती मतदान केंद्र के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मतदान के दौरान पूवर्ती गांव के किसी भी मतदाता ने अपने मत का प्रयोग नहीं किया। पूवर्ती मतदान केंद्र पर कुल 31 मतदाताओं ने वोट डाले, लेकिन उनमें से कोई भी गांव से नहीं था। सभी मतदाता टेकलगुडियाम और जोनागुड़ा से थे।
हालांकि सुकमा कलेक्टर हरिस एस ने दैनिक भास्कर से हुई बातचीत में कहा कि ‘ये शिफ्टेड पोलिंग बूथ था। पूवर्ती पोलिंग स्टेशन में वोट जरूर पड़े हैं, लेकिन किस गांव से किसने वोट दिया ये हम नहीं बता सकते।’
बस्तर लोकसभा सीट के तहत कोंटा विधानसभा क्षेत्र जो सुकमा जिले में है। वहां 54.44 प्रतिशत मतदान हुआ है। माओवादियों की जगरगुंडा एरिया कमेटी ने पूवर्ती में आसपास के गांवों में बैनर लगाकर लोगों से चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की थी।
बीजेपी के खिलाफ पोस्टर-बैनर लगाने की वजह
प्रदेश में नई सरकार आने के बाद फोर्स लगातार नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन कर रही है। नक्सलियों के खिलाफ छेड़े गए इस अभियान के तहत सुरक्षाबलों ने 16 अप्रैल को सबसे बड़ा एक्शन लेते हुए कांकेर इलाके में 29 नक्सलियों को एनकाउंटर में मार गिराया था। इस घटना के बाद से ही नक्सली बैनर-पोस्टर लगाकर बीजेपी का विरोध कर रहे हैं। इसके जरिए ग्रामीणों को मतदान करने से भी रोकने की कोशिश की गई।