नई दिल्ली: पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने खनौरी बॉर्डर पर जान गंवाने वाले शुभकरण सिंह का पोस्टमार्टम करवाने से इनकार करते हुए कहा कि पैसा नहीं, इंसाफ चाहिए. किसानों की मांग है कि उसे शहीद का दर्जा मिले और पोस्टमार्टम बोर्ड बनाकर हरियाणा पुलिस के खिलाफ मामला भी दर्ज किया जाए.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
- एमएसपी MSP की गारंटी समेत कई मांगों को लेकर पंजाब के किसान 12 दिन से धरने पर हैं. इस बीच किसानों ने दिल्ली कूच का प्लान 29 फरवरी तक टाल दिया है, ये जानकारी संयुक्त किसान मोर्चा ने दी.
- पंजाब के किसान शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसान शुभकरण सिंह की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों में गुस्सा है. वह शुभकरण को शहीद का दर्जा देने और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
- 24 फरवरी यानी कि आज शुभकरण सिंह और अन्य 3 शहीद किसानों की याद में किसान आज कैंडल मार्च निकालेंगे. देशभर में आज कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा.
- 25 फरवरी को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर WTO के विषय पर सम्मेलन कर देशभर के किसानों को जागरूक किया जाएगा. 26 फरवरी को देश के सभी गांवों और शूभी-खनौरी बॉर्डर पर WTO के पुतले फूंके जाएंगे.
- शंभू-खनौरी बॉर्डर पर 27 फरवरी को दोनों फोरम की राष्ट्रीय स्तर की बैठकें आयोजित होंगी, 29 फरवरी को किसान आंदोलन को लेकर किसानों के रूख पर बड़े फैसले का ऐलान किया जाएगा.
- हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर शुक्रवार को भी तनाव रहा. खनौरी की तरफ बढ़ रहे प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसूगैस के गोले दागे, जिसके बाद दोनों पक्षों में फिर झड़प हो गई.
- पुलिस का आरोप है कि रोके जाने पर किसानों ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की. झड़प के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया और कई किसानों को अपनी हिरासत में ले लिया. इस झड़प में हरियाणा पुलिस के SHO भी जख्मी हो गए.
- हरियाणा पुलिस ने कहा कि वह किसान आंदोलन का हिस्सा रहे कुछ किसान नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के प्रावधानों को लागू करने के अपने फैसले को वापस ले रही है.
- प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि बुधवार को झड़प के दौरान जान गंवाने वाले किसान शुभकरण सिंह का अंतिम संस्कार तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक पंजाब सरकार घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती.
- सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर आरोप लगाया गया है कि ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे’ किसानों के अधिकारों का केंद्र और कुछ राज्यों द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है.