उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 9 दिन से 41 मजदूर फंसे हैं। टनल में ऑगर मशीन से ड्रिलिंग रोक दी गई है। मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों में 16 नवंबर के भूकंप के बाद से दहशत है। वे टनल के अंदर काम करने से घबरा रहे हैं।
NHIDCL डायरेक्टर अंशु मनीष ने बताया कि टनल के अंदर कभी भी, कुछ भी हो सकता है। इसलिए किसी अनहोनी के मद्देनजर ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों के लिए अलग से टनल बनाई जा रही है।
डंडालगांव की तरफ से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए काम जारी है। सिलक्यारा की तरफ से 6 इंच की नई पाइपलाइन टनल के अंदर भेजने में सफलता मिली है। अंदर फंसे मजदूरों के लिए डाइट चार्ट बनाकर आज शाम से सेब, दलिया, खिचड़ी जैसे हल्के खाद्य पदार्थ भेजे जाएंगे।
इसके अलावा एंडोस्कोपी जैसा एक कैमरा भी मंगाया जा रहा है जिससे अंदर फंसे लोगों को देखा जा सके। टनल के अंदर भेजने के लिए रोबोट भी मंगवाए गए हैं, लेकिन अभी उन्हें अंदर भेजने में कामयाबी नहीं मिली है।
सिलक्यारा टनल में हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी। इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए। रेस्क्यू के दौरान 16 नवंबर को टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया।
टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।