महिला उद्योगिनी समूह की महिलाएं हो रहीं सशक्त, मशरूम की खेती को बनाया आय का जरिया, मशरुम उत्पादन पर दे रहे है प्रशिक्षण

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ब्लैक आउट न्यूज- जिले के जनपद करतला ब्लॉक के आसपास के ग्राम पंचायत के 24 गांव में रहने वाली महिलाओं ने महिला उद्योगिनी समूह करतला विनीता टोप्पो, चंपी राठिया, वृंदा उतरा एवं रुक्मणि राठिया जैसे दर्जनों महिलाओं ने खेत खलिहान को छोड़कर मशरुम खेती से जुडऩे का बीड़ा उठा लिया है।

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करतला ब्लॉक के समूह की महिलाओं ने मशरूम की खेती को लेकर उद्योगिनी संस्था एलआईसी एचएलएफ के सहयोग से
मशरुम उत्पादन पर प्रशिक्षण और तकनीकी क्षमतावर्धन किया गया। इसमें समूह सदस्यों को बहुत शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नही होती है। मशरुम की कई प्रजातियां होती है लेकिन आयस्टर मशरुम की खेती कम लागत में अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है।

मशरुम उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्री- घर के किसी हिस्से में एक कमरा जहाँ धूल, धूप धुँआ न जाता हो, प्लास्टिक बैग, फफूंदनाशक दवा, फार्मोलीन, चुना, धान या गेंहू का भूषा की आवश्यकता पड़ती है। शुरुआत में समूह की महिलाओं ने कम मात्रा में मशरूम की खेती कर, समूह की महिलाओं ने स्थानीय बाजार में 200 रुपये की दर से बेचकर लगभग 10 हजार रुपये कमाए हैं। महिला समूह के दीदियों ने खेती बाड़ी से संबंधित
विभिन्न व्यावसाय से जोड़ कर महिलाओं को आत्म निर्भर एवम उद्यम बन रही है।

विनीता टोप्पो (कार्यकर्ता उद्योगिनी संस्था) ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मशरूम से अनेकों फायदे होते हैं जैसे की मशरुम में मिलने वाले पोषक तत्व प्रोटीन, कम कार्बोहाइड्रेट, कम फैट, कम शुगर और मिनरल की मात्रा पाई जाती है। डाईविटीज और हाटै पैसेन्ट के लिए बहुत उपयुक्त खाद्य पदार्थ है।

उद्योगिनी महिला समूह का कहना है कि- समूह द्वारा मशरूम की खेती कर कुछ ही महीना में उत्पादन अधिक हो रही है, लेकिन बिक्री न होने से मशरूम खराब होते जा रहे हैं और समूह की महिलाओं में उदासी भी देखने को मिल रहा, जिसे देखते हुए हम सभी जिला प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराया गया.

संतोष कुमार सारथी ब्लैकआउट न्यूज़ बालको

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