Workshop on Environmental Protection पेड़ लगाइये पानी बचाइए और प्लास्टिक का करें त्याग, धरती का करें सम्मान : अनिल

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कोरबा। Workshop on Environmental Protection पर्यावरण संरक्षण पर शासकीय ईवीपीजी अग्रणी महाविद्यालय में गुरुवार को जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में कॉलेज के छात्रों सहित प्राध्यापकों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने और अपने कर्तव्य को पूर्ण करने के विषय में जानकारी दी गयी। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता और अतिथि के तौर पर पर्यावरणविद अनिल कुमार पहुंचे थे। जिन्होंने जम्मू कश्मीर, लद्दाख, दिल्ली, असम जैसे कई राज्यों में पर्यावरण की दिशा में काम किया है। सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर वह पर्यावरण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं।

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Workshop on Environmental Protection

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अनिल कुमार ने 3 पी मॉडल का महत्व बताते हुए कहा कि पेड़, पानी और प्लास्टिक को समझना होगा। अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे, पानी तो हम बना नहीं सकते। इसलिए हमें इसे बचाना होगा। प्लास्टिक वर्तमान दौर में किसी खतरनाक जिन्न से कम नहीं है। जिसकी उम्र 800 साल है। यह हमारे पर्यावरण को लगातार प्रदूषित कर रहा है। प्लास्टिक के कप, थाली आदि में खाने-पीने से बचें। यह कैंसरजन्य लक्षण पैदा करता है। जल और वायु बेशकीमती है। भारत ही केवल एक ऐसा देश है। जहां धरती को मां कहा जाता है। लेकिन हम लगातार नदी, नालों और प्रकृति को प्रदूषित कर रहे हैं। धरती का सम्मान करना होगा। इसके संरक्षण की दिशा में काम करना होगा।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति को 428 पेड़ों की जरूरत है। लेकिन वर्तमान में हमारे देश में प्रति व्यक्ति 28 पेड़ मौजूद हैं। हम लगातार प्रकृति का दोहन कर रहे हैं। अपने मतलब के लिए प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसे बंद करना होगा। किसी भी क्षेत्र में 33% जंगल होना चाहिए. लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा भारत में केवल 21% ही है।

Workshop on Environmental Protection

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रोजमर्रा के जीवन में बदलाव लाने होंगे और हम सबको समाज में पर्यावरण की दिशा में जागरूकता लानी होगी। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति को 428 पेड़ों की जरूरत है। लेकिन वर्तमान में हमारे देश में प्रति व्यक्ति 28 पेड़ मौजूद हैं। हम लगातार प्रकृति का दोहन कर रहे हैं। अपने मतलब के लिए प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसे बंद करना होगा। किसी भी क्षेत्र में 33% जंगल होना चाहिए. लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा भारत में केवल 21% ही है।

 

आने वाली पीढ़ियां के लिए भी बढ़ाने होंगे संसाधन : Workshop on Environmental Protection

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कार्यक्रम में उपस्थित शासकीय ईवीपीजी कॉलेज की प्राचार्य डॉ साधना खरे ने कहा कि धरती पर जीवन तभी बचेगा। जब प्रकृति सुरक्षित होगी। आदिवासी समाज और हमारे पूर्वज भी पेड़ों और जानवरों की पूजा करते थे। जिससे वो यह संदेश देते थे कि वह प्रकृति से कितने जुड़े हुए हैं। हम पेड़ काटेंगे, कोयला, पेट्रोल निकालते रहेंगे। तब एक दिन ऐसा आएगा जब सब सब खत्म हो जाएगा।हम दोनों तरफ से मोमबत्ती जला रहे हैं। जहां बैठे हैं, उसी डाल को काट रहे हैं। इसलिए सिर्फ पत्तों को नहीं, जड़ों को सींचना होगा आदतों को सुधारना आचरण सुधारना होगा।

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कार्यक्रम का संचालन बॉटनी के प्रोफेसर संदीप शुक्ला ने किया जिन्होंने कार्बन फुटप्रिंट्स के घातक परिणामों से अवगत कराया और यह भी बताया कि धरती पर 20 मिलियन प्रजातियां हैं। लेकिन इसमें से केवल मनुष्य ही एक ऐसी प्रजाति है। जिससे प्रकृति को नुकसान पहुंच रहा है। मनुष्य ही प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन के सचिव शैलेंद्र नामदेव, बॉटनी विभाग की एचओडी डॉ रेनूबाला शर्मा महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक एसके गोभिल, एलएन कंवर, डॉ बीएस राव, सुशील अग्रवाल, सुशील गुप्ता, शुभम ढोरिया, मधु कंवर, आरके मौर्य, अजय पटेल सहित केएन कॉलेज से वेद व्रत उपाध्याय और निधि सिंह व अन्य मौजूद रहे।

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