पुणे में नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल बदलने के आरोप में तीन गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। अब खबर है कि सोमवार को पुणे पुलिस के जांच के दौरान 3 लाख रुपये भी बरामद हुए हैं, जो कथित तौर पर नमूने बदलने के लिए दिए गए थे। फिलहाल, दोनों डॉक्टरों को 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है। 19 मई को हुए सड़क हादसे में एक युवक और एक युवती की दर्दनाक मौत हो गई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सैंपल बदलने के लिए कथित तौर पर डॉक्टरों को दिए 3 लाख रुपये बरामद किए हैं। सोमवार को ही दो डॉक्टरों और ससून जनरल हॉस्पिटल के एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। इनमें फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर अजय तावरे, सीएमओ डॉक्टर श्रीहरि हलनोर और कर्मचारी अतुल घाटकाम्बले का नाम शामिल है।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, घाटकाम्बले से 2.5 लाख रुपये बरामद हुए हैं। क्राइम ब्रांच के मुताबिक, वह डॉक्टर तावरे के अंडर काम करता है और उसने डॉक्टर हलनोर को रुपये देने के लिए अपने बॉस से लिए थे। हलनोर से पूछताछ के बाद पुलिस को कैश मिला है।
पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार का कहना है कि आरोपी नाबालिग के ब्लड सैंपल को कचरे में फेंक दिया गया था। साथ ही इसे किसी ऐसे व्यक्ति के नमूनों से बदला था, जिसने शराब का सेवन नहीं किया था। पुलिस ने रुपयों के लेनदेन के लिए दो डॉक्टरों की कस्टडी की मांग की थी।
मेडिकल काउंसिल ने भी नोटिस जारी किए
महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल की तरफ से भी दोनों डॉक्टरों को नोटिस जारी किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर काउंसिल दोनों डॉक्टरों को दोषी पाती है, तो उनका मेडिकल लाइसेंस एक दिन से लेकर जीवनभर तक के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि डॉक्टरों को जवाब देने के लिए 7 दिनों का समय दिया गया है।
दी गई थी रिश्वत
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ए.ए. पांडे की अदालत ने अस्पताल के दो चिकित्सक और एक कर्मचारी को 30 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था, हालांकि अभियोजन पक्ष ने दस दिन की हिरासत की मांग की थी। अभियोजन पक्ष ने कहा कि नाबालिग के पिता ने दोनों चिकित्सक में से एक से नमूने बदलने के लिए कहा था, पुलिस इस बात का पता लगाना चाह रही है कि नमूनों में हेरफेर करने के निर्देश किसने दिए थे।
घाटकाम्बले के तौर पर की गई है जो डॉ. तावड़े के अधीन काम करता है। लोक अभियोजक नीलेश ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने वित्तीय लाभ के लिए अपने-अपने पद का दुरुपयोग किया और नाबालिग के रक्त के नमूनों के सबूत नष्ट कर दिए और उनकी जगह अन्य व्यक्तियों के रक्त के नमूने ले लिए। उन्होंने कहा कि पुलिस आरोपियों से आमने-सामने पूछताछ करना चाहती है।
लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि किशोर के पिता (विशाल अग्रवाल) ने डॉ. तवाड़े को बुलाया था और उन्हें नमूने बदलने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा, ‘पुलिस इस बात का पता लगाना चाह रही है कि विशाल अग्रवाल के अलावा किसके निर्देश पर रक्त के नमूने बदले गए थे।’
अभियोजक ने कहा कि जांच से पता चला कि रक्त के नमूने बदलने के लिए ‘रिश्वत’ के रूप में कुछ वित्तीय लेनदेन हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस आरोपियों के घर की तलाशी भी लेना चाहती है। पुलिस यह पता लगाने के लिए कि आरोपी चिकित्सकों से कौन मिलने आया था, इसके लिए ससून अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और उसके डीवीआर बरामद कर रही है।