कोरबा/कटघोरा ( ब्लैकआउट न्यूज़)The country’s first lithium block कोरबा में देश का पहला लिथियम खदान मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (MSMPL) को नीलामी में मिला है यह लिथियम ब्लॉक256 हेक्टेयर में लिथियम का भंडारण फैला हुआ है. 54 स्थानों पर ड्रिल कर पता लगाया जाएगा कि कहां कहां लिथियम है.
The country’s first lithium block
कोरबा: कटघोरा में देश का पहला लिथियम ब्लॉक खुलने जा रहा है. मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (MSMPL) ने केंद्र सरकार द्वारा आयोजित नीलामी प्रक्रिया से लिथियम ब्लॉक को हासिल किया था. अब इस कंपनी ने उत्खनन शुरू करने की दिशा में प्रक्रिया को आगे बढ़ना शुरू कर दिया है. जिस इलाके में लिथियम भंडाण है, वहां ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कुल मिलाकर 54 स्थान पर ड्रिल किए जाएंगे, जिससे यह पता लगाया जाएगा कि लिथियम का भंडारण किन किन स्थानों पर है.
The country’s first lithium block
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार 256 हेक्टेयर में लिथियम का भंडारण फैला हुआ है. वास्तव में लिथियम की मौजूदगी कितनी मात्रा में है, वास्तविक क्षेत्रफल क्या और इस तरह की सभी जानकारी के लिए सर्वे का काम चल रहा है. इसके लिए 100 मीटर तक जमीन में ड्रिल किया जा रहा है, सतह के मिट्टी और चट्टानों का भी अध्ययन किया जाएगा. इन सभी प्रक्रिया को पूर्ण करने में अब भी लगभग 4 महीने का समय लग सकता है. जिसके बाद ही लिथियम का उत्खनन का काम शुरू होगा. फिलहाल ड्रिलिंग और ट्रेंचिंग की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है.
256 हेक्टेयर में लिथियम का भंडार The country’s first lithium block

साल 2024 ही केंद्रीय खान मंत्रालय ने रणनीतिक खनिजों (Critical and Strategic Minerals) को नीलामी प्रक्रिया के तहत देशभर में स्थित 20 मिनरल्स ब्लॉक्स के लिए बोली बुलाई थी. इसमें कटघोरा – घुचापुर में स्थित लिथियम ब्लॉक (Katghora Lithium and REE Block) भी सम्मिलित था. जिसे बोली के बाद मैकी साउथ ने हासिल किया.
रेयर अर्थ मेटल का जमीन के नीचे भंडार:The country’s first lithium block

सर्वे के अनुसार यहां पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) की उपलब्धता है. कटघोरा- घुचापुर में 256.12 हेक्टेयर में लिथियम ब्लॉक फैला हुआ है. इसमें 84.86 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड है. लिथियम की उपस्थिति का क्षेत्रफल नगर पालिका परिषद कटघोरा के साथ ही बड़े पैमाने पर निजी भूमि में भी मौजूद है. क्षेत्रफल करघोरा से लगभग 10 किलोमीटर दूर छूरी तक फैला हुआ है.
पता लगा रहे कितनी मात्रा में मौजूद है लिथियम:The country’s first lithium block

वर्तमान में निजी कंपनी द्वारा ट्रेंचिंग और ड्रिलिंग कर सर्वे का काम किया जा रहा है. जमीन के सतह और भीतर से भी सैंपल एकत्र किए जा रहे हैं. अलग-अलग क्षेत्र में सर्वे का काम किया जा रहा है, इस प्रक्रिया में यह पता लगाया जाएगा की इस क्षेत्र में कितनी मात्रा में लिथियम का भंडारण मौजूद है. यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद ही लिथियम का उत्खनन शुरू होगा. फिलहाल 256 हेक्टेयर में से किस क्षेत्र में उत्खनन किया जाना है, यह स्पष्ट नहीं है. क्षेत्र की सटीक जानकारी के बाद जमीन अधिग्रहण के साथ ही मुआवजा वितरण और अन्य प्रक्रिया को भी पूरा करना होगा. जो की काफी लंबी प्रक्रिया है,
अनुमान है कि आने वाले 4 महीने बाद उत्खनन शुरू हो सकता है. यह तब और स्पष्ट होगा जब लिथियम के वास्तविक क्षेत्रफल और मात्रा का पता चल जाएगा.
सर्वे का काम प्रगति पर, कम होगी निर्भरता:
कलेक्टर अजीत वसंत ने बताया कि ”कटघोरा में लिथियम की खोज के लिए निजी कंपनी को निर्देशित किया गया है. सर्वे का काम अभी प्रगति पर है, उम्मीद है कि आने वाले महीना में सर्वे का काम पूर्ण कर लिथियम की मीनिंग का कार्य प्रारंभ किया जा सकेगा. निश्चित तौर पर आज के समय में लिथियम को रेयर अर्थ मिनरल माना जाता है. इसके मिलने से इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में नई क्रांति आएगी, हमारी दूसरे देशों पर आत्मनिर्भरता भी कम होगी.
स्वदेशी बैटरी के निर्माण को मिलेगी रफ्तार:
लिथियम के स्रोत मिलने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा. नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है, जिसमें भारत में बैटरी की गीगा फैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी. भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है. दुनिया भर में भारी मांग के कारण लिथियम को व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है.
लिथियम को कहते हैं व्हाइट गोल्ड:
एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख है. वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. फिलहाल भारत में कहीं भी लिथियम का उत्पादन नहीं होता. भारत लिथियम के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर है. कटघोरा में लिथियम की माइनिंग शुरू होते ही लिथियम के उत्पादन में भी भारत आत्मनिर्भर बनेगा.
कोयले के बाद लिथियम उत्पादन में कोरबा बनेगा आत्मनिर्भर: कोरबा को प्रदेश की ऊर्जाधानी कहा जाता है. यहां तकरीबन 6000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. इस उत्पादन के कारण ही छत्तीसगढ़ राज्य सरप्लस राज्य है. यहां से अन्य राज्यों को बिजली की सप्लाई की जाती है. बिजली उत्पादन का बड़ा कारण कोरबा जिले में बड़े पैमाने पर कोयले की मौजूदगी है. कोल इंडिया लिमिटेड को उसके कुल उत्पादन का लगभग 20 फ़ीसदी कोयला कोरबा जिले से प्राप्त होता है. कोरबा में देश की तीन सबसे बड़ी कोयला खदाने गेवरा, दीपका और कुसमुंडा मौजूद है. इन उपलब्धियां के बाद अब कोरबा का नाम लिथियम के उत्पादन के लिए भी शामिल हो जाएगा. कोरबा, देश का ऐसा पहला जिला होगा. जहां से लिथियम का उत्पादन शुरू होगा.
जानिए क्यों है लिथियम जीवन के लिए जरुरी
मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए रिचार्जेबल बैटरी में लिथियम महत्वपूर्ण है.
इसका उपयोग हार्ट पेसमेकर, खिलौने और घड़ियों जैसी चीज़ों के लिए कुछ गैर-रिचार्जेबल बैटरी में भी किया जाता है.
लिथियम धातु को एल्युमिनियम और मैग्नीशियम के साथ मिश्रधातु में बनाया जाता है, जिससे उनकी ताकत में सुधार होता है और वे हल्के हो जाते हैं.
लिथियम ऑक्साइड का उपयोग विशेष ग्लास और ग्लास सिरेमिक में किया जाता है.
लिथियम स्टीयरेट का उपयोग एक सर्व-उद्देश्यीय और उच्च तापमान वाले स्नेहक के रूप में किया जाता है.
लिथियम कार्बोनेट का उपयोग उन्मत्त अवसाद के इलाज के लिए दवाओं में किया जाता है.
सभी धातुओं में इसका घनत्व सबसे कम है.
यह ठोस तत्वों में सबसे हल्का है.
यह पानी के साथ जोरदार प्रतिक्रिया करता है.
इसकी संरचना शरीर-केंद्रित घन क्रिस्टल जैसी होती है.




