POCSO CASE पत्रकार चित्रा त्रिपाठी, दीपक चौरसिया एवं अन्य पत्रकारों के खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट, अग्रिम ज़मानत याचिका ख़ारिज

- Advertisement -

गुरुग्राम (ब्लैकआउट न्यूज़)POCSO CASE  गुरुग्राम की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने टीवी पत्रकार और एबीपी न्यूज़ की प्रमुख एंकर चित्रा त्रिपाठी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका उस समय दायर की गई थी जब इस महीने की शुरुआत में पॉक्सो अधिनियम के तहत चित्रा त्रिपाठी और अन्य पत्रकारों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था।

POCSO CASE  

POCSO CASE
TV पत्रकार चित्रा त्रिपाठी

अदालत ने केवल जमानत याचिका ही खारिज नहीं की, बल्कि व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट के लिए दायर उनके आवेदन को भी नामंजूर कर दिया। चित्रा त्रिपाठी ने अदालत में तर्क दिया था कि वह महाराष्ट्र चुनाव की कवरेज और राज्य के उपमुख्यमंत्री का साक्षात्कार लेने के लिए नासिक की यात्रा कर रही हैं, जिससे उन्हें कोर्ट में पेश होने में असुविधा होगी। हालांकि, अदालत ने उनके इस तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह कोर्ट की प्रक्रिया को गंभीरता से न लेने का संकेत है।

- Advertisement -

POCSO CASE  क्या है मामला?

POCSO CASE
TV पत्रकार दीपक चौरसिया

यह मामला पॉक्सो अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act) से संबंधित है, जिसमें चित्रा त्रिपाठी, दीपक चौरसिया, अजीत अंजुम सहित कुल आठ पत्रकारों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। आरोप है कि इन पत्रकारों ने अपने कार्यक्रमों में एक बच्चे के प्रकरण को सार्वजनिक रूप से प्रसारित कर उसकी निजता का उल्लंघन किया था।

POCSO CASE अन्य पत्रकार भी रडार पर

POCSO CASE
POCSO CASE

इस केस में वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया, अजीत अंजुम और कुछ अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं। सभी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि मीडिया की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग करते हुए किसी भी व्यक्ति, विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा और निजता से समझौता नहीं किया जा सकता।

POCSO CASE  क्या कहा अदालत ने?

 

कोर्ट ने टिप्पणी की कि मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन किसी भी पत्रकार को कानून के ऊपर नहीं रखा जा सकता। अदालत ने इसे एक संवेदनशील मामला बताया और कहा कि इसमें तय प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।

आगे की सुनवाई

अब इस मामले में अगली सुनवाई और आरोपित पत्रकारों की व्यक्तिगत उपस्थिति का इंतजार किया जा रहा है। इस प्रकरण ने पत्रकारिता जगत में एक बड़ी बहस छेड़ दी है कि मीडिया की आजादी और कानून के दायरे के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।

यह मामला यह भी दर्शाता है कि संवेदनशील मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान पत्रकारों को अत्यधिक सतर्क और जिम्मेदार होना चाहिए।

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -