अतंरिक्ष विज्ञान में अब भारत किसी से पीछे नहीं है. अमेरिका, रूस और चीन को भले ही स्पेस साइंस में महारत हासिल हो लेकिन चंद्रयान 3 मिशन की कामयाबी ने साबित कर दिया कि भारत कम संसाधनों में बड़े लक्ष्य को कामयाबी के साथ हासिल कर सकता है. चंद्रयान 3 मिशन के करीब 12 दिन बाद इसरो ने आदित्य एल 1 मिशन को सूरज के अध्ययन के लिए रवाना किया जो कामयाबी के साथ अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहा है और अब नजर गगनयान मिशन पर है.
केंद्र सरकार ने दी जानकारी
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मामलों के मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि गगनयान मिशन से पहली टेस्ट फ्लाइट का परीक्षण 21 अक्टूबर को किया जाएगा.इसके बाद अगले साल क्रू के साथ गगनयान को भेजा जाएगा. टेस्ट फ्लाइट को पहले आउटर स्पेस में भेज कर उसकी धरती पर वापसी करा बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा. बे ऑफ बंगाल में इस टेस्ट यान को हासिल करने की प्रक्रिया पर नौसेना की तरफ से मॉक ऑपरेशन शुरू किया जा चुका है.
मुख्य मिशन को भेजे जाने से पहले इन टेस्ट पर काम
- एकीकृत वायु ड्रॉप परीक्षण ( IADT)
- पैड अबॉर्ट टेस्ट (PAT)
- परीक्षण वाहन (TV) उड़ानें
इस वजह से खास है गगनयान मिशन
क्रू मॉड्यूल के साथ टीवी-डी-1 क्रू एस्केप सिस्टन का भी परीक्षण किया जाएगा. इसका मकसद यह है कि अगर यानमें किसी तरह की खामी आई उस केस में अतंरिक्ष यात्रियों को कामयाबी के साथ धरती पर लाया जा सके. मानलरहिच गगनयान मिशन की कामयाबी मानवयुक्त मिशन के लिए आधार तैयार करेगी. मानवयुक्त मिशन से पहले अगले साल यानी 2024 में एक और उड़ान का परीक्षण होगा जिसे महिला अंतरिक्ष यात्री व्योममित्रा ले जाएगी. बता दें कि मानवयुक्त गगन मिशन को धरती की 400 किमी की कक्षा में लांच किया जाएगा और उसके बाद समंदर में उतारा जाएगा.