कोरोना में एनएचएम भर्ती-रिश्वत कांड:न आरोपी पकड़ा गया, न ही पीड़ितों के बयान लिए; 7 दिन तक चला जांच का ड्रामा, और सब दबा दिया गया

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कोरोना में प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन(एनएचएम) व कोविड ड्यूटी के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुई। मार्च 2022 में रायपुर जिला सीएमएचओ में पदस्थ महिला डेटा मैनेजर अनुराधा सिंह तिवारी का कथित रिश्वत मांगने का ऑडियो सामने आया था। उसी दौरान रायपुर और अन्य जिलों में एनएचएम में नियुक्तियां दिलाने के बदले सैकड़ों बेरोजगार हेल्थ वर्करों से लाखों की ठगी भी की गई।

स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त में जांच कमेटी बनाकर सात दिन में 12 लोगों के लिखित बयान लेकर मामला दबा दिया। उसमें कोई दोषी नहीं मिला। इसके बाद भास्कर इनवेस्टिगेशन टीम ने एक साल तक इस मामले के हर पहलू की पड़ताल की। 100 से ज्यादा पीड़ितों तक टीम पहुंची। इसमें सामने आया कि विभाग ने नियुक्तियां दिलाने के नाम पर फोन से ठगी करने वाले शख्स की पड़ताल तक नहीं की।

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ड्यूटी रोस्टर के नाम पर भी धोखाधड़ी हुई

कोरोना में डीएमएफ (जिला खनिज निधि न्यास) मद से 550 से ज्यादा कर्मचारियों को अस्थायी नौकरियां दी गई। केवल नर्सिंग और पैरामेडिकल ड्यूटी ही नहीं। उस दौरान डेटा एंट्री आॅपरेटर, टेली कॉलर आदि को हर ​महीने 13 हजार से 1

ठगी करने वाले की विभाग ने जांच नहीं की

पड़ताल में कई खामियां सामने आईं। दोनों मामलों के शिकायतकर्ता नर्सिंग संगठन के अध्यक्ष योगेंद्र यादव थे। उनका जांच कमेटी ने बयान ही नहीं लिया। भर्ती के नाम पर ठगी करने वाले शख्स अभिषेक संतराम के खिलाफ जांच नहीं की। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें नौकरी की जरूरत थी। इसलिए पैसे दे दिए।

8 हजार रुपए तक सैलरी पर रखा जा रहा था। पीड़ितों से 10 हजार तक घूस मांगी गई।

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