New Twist in Mahadev Satta App : सट्टा ऐप केस…CM बघेल को नहीं दिए ₹508 करोड़,आरोपी के हवाले से लिखे वायरल लेटर में दावा, BJP ने की जांच की मांग

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New twist in Mahadev Satta app ऑनलाइन सट्‌टा ऐप मामले में छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल पर लगा आरोप वापस लिए जाने की खबर है। दरअसल, एक लेटर वायरल हो रहा है। इसमें आरोपी असीम दास के हवाले से कहा गया- मैंने CM बघेल को 508 करोड़ रुपए नहीं दिए हैं। मुझे शुभम सोनी ने फंसाया है।

New twist in Mahadev Satta app

अब भाजपा ने इस लेटर की जांच की मांग की है। पार्टी का कहना है कि आखिर असीम दास किसके दबाव में वह लेटर लिख रहा है? क्या ये उसी की हैंड राइटिंग है? हालांकि वायरल लेटर को लेकर जांच एजेंसी ED की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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उधर, असीम की वायरल चिट्ठी रायपुर कोर्ट पहुंच चुकी है। असीम के वकील शोएब अल्वी ने बताया कि हमने लेटर को अदालत में सुनवाई के दौरान पेश किया। इसे रिकॉर्ड में शामिल किया गया है।

दरअसल, 2 नवंबर को ED ने असीम दास को 5 करोड़ रुपए की नकदी के साथ गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने आरोपी के हवाले से दावा किया था कि सट्‌टेबाजी ऐप के प्रमोटर्स ने CM बघेल को 508 करोड़ रुपए का भुगतान किया था

अब पढ़िए वायरल लेटर में लिखी 4 बातें… New twist in Mahadev Satta app

1. ED ने मुझसे जबरन हस्ताक्षर कराया

असीम ने लिखा है कि जब मुझे ED वाले पकड़कर जेल ले गए, तो वहां अखबार पढ़कर पता चला कि मेरे नाम से बयान छापा गया है कि मैंने मुख्यमंत्री को 508 करोड़ दिए हैं, ये असत्य है। असीम ने दावा किया है कि वो 10वीं तक पढ़ा है। उसे अंग्रेजी नहीं आती है। ED वालों ने अंग्रेजी में लिखे बयान पर जबरन हस्ताक्षर कराया है।

असीम ने लिखा- मुझे पता ही नहीं है कि मेरे बयान में क्या लिखा है। ED ने 7 दिन की रिमांड में लिया, लेकिन कोई पूछताछ नहीं की। कुछ जांच भी नहीं की गई। मुझे सिर्फ बैठाकर रखा गया। ED खानापूर्ति करती रही।

2. मुझे शुभम सोनी ने फंसाया है New twist in Mahadev Satta app

असीम का कहना है कि 8 अक्टूबर को शुभम से मिलने दुबई गया था। शुभम ने ही उसे टिकट भेजकर घूमने बुलाया था। वहां मुलाकात के बाद वो चार दिन बाद वापस आ गया। उसे दूसरी बार 25 अक्टूबर को शुभम ने बुलाया। वहां उसने झांसा दिया कि छत्तीसगढ़ में ठेकेदारी करना है।

उसने उसी काम को देखने के लिए आईफोन लाकर दिया। उसमें सिम पहले से लगा था। उसने मेरा पुराना फोन रख लिया। यहां 1 नवंबर को रायपुर पहुंचकर फ्लाइट से उतरा और पार्किंग में गया। मुझे बताया गया था कि वहां कार खड़ी है। कार नंबर के आधार पर मुझे गाड़ी मिल गई, उसमें चाबी लगी थी।

मैं वहां से सीधे होटल ट्रायटन गया। वहां मेरे लिए कमरा नंबर- 311 बुक था। मुझसे कहा गया कि उसी कमरे में इंतजार करना। इसी दौरान शुभम के नाम से फोन आया और कहा गया कि होटल के बाहर मेन रोड में आओ। वहां बाहर गया तो मास्क लगाकर युवक आया उसने मुझे फोन दिया। मैं फोन लेकर पार्किंग में चला गया। फिर फोन आया कि गाड़ी के भीतर बैठ जाओ और डिक्की खोल दो।

असीम दास का ये वही पत्र है जो उसने ED को लिखा है।

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3. शुभम सट्टेबाजी का प्रमोटर नहीं है, बल्कि भिलाई के दो युवक हैं प्रमोटर

असीम ने आगे कहा कि मैंने डिक्की जैसे ही खोली काले रंग की बाइक में हेलमेट लगाकर एक व्यक्ति आया। उसने डिक्की में दो बैग रखे और चला गया। 15 मिनट बाद फिर डिक्की खोलने का फोन आया। डिक्की खोलते ही फिर दो लोग आए और तीन बैग रखकर चले गए। फिर एक युवक आया और मेरा फोन ले गया। उसने वही आईफोन दिया जो मुझे दुबई में दिया गया था। मैंने बैठे-बैठे चेक किया तो उसमें शुभम के कई वीडियो और वॉयस मैसेज थे।

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मुझे वहां से कमरे में जाने को कहा गया। 5 मिनट बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोला तो एक व्यक्ति भीतर आया। उसने कहा कि सामान उठा लो। लड़के के साथ कुछ लड़कियां भी आई थीं। मुझे गाड़ी के पास ले जाया गया। उसने गाड़ी खोलते ही पूछा कि किसका पैसा है?

मैंने पूछा कि आप लोग कौन हैं? तब उन्होंने बताया कि हम ED वाले हैं। वो ED अधिकारी ठंडीलाल मीणा थे। ED वालों की बातों से लग रहा था कि उन्हें पता है कि पैसा कहां और किसने रखा है। असीम का दावा है कि शुभम सट्टेबाजी का प्रमोटर नहीं है। प्रमोटर, भिलाई के दो युवक हैं।

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