नई दिल्ली: Merger of 15 rural banks क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के एकीकरण के चौथा चरण में 15 बैंकों को विलय किया जा सकता है. वर्तमान में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 है. विलय के चौथे चरण में इस घटाकर 28 किया जा सकता है. वित्त मंत्रालय के रोडमैप के अनुसार, विभिन्न राज्यों में संचालित 15 ग्रामीण बैंकों का विलय किया जाएगा.रिपोर्ट के मुताबिक, जिन राज्यों में आरआरबी का एकीकरण होगा, उनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं.
Merger of 15 rural banks
मध्य प्रदेश में मध्यांचल ग्रामीण बैंक और मध्य प्रदेश ग्रामीण बैंक का विलय होगा.इस विलय से ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं है. सरकार का मानना है कि विलय से बैंकों की गुणवत्ता और ग्राहक सेवा में सुधार होगा. साथ ही बैंकों का जोखिम भी कम होगा.वित्तीय सेवा विभाग ने सरकारी बैंकों के प्रमुखों को भेजे पत्र में कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में आरआरबी के विस्तार और कृषि-जलवायु या भौगोलिक प्रकृति को देखते हुए तथा समुदायों के साथ निकटता जैसे आरआरबी की यूएसपी को बनाए रखने के लिए ‘एक राज्य एक आरआरबी’ के लक्ष्य की दिशा में आरआरबी के और अधिक विलय की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि पैमाने की दक्षता और लागत को तर्कसंगत बनाकर लाभ उठाया जा सके.”
Merger of 15 rural banks
पत्र में कहा गया है कि बैंकों के एकीकरण के चौथा चरण के लिए नाबार्ड के परामर्श से रोडमैप तैयार किया गया है, जिससे आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी. वित्तीय सेवा विभाग ने आरआरबी के प्रायोजक (sponsor) बैंकों के प्रमुखों से 20 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं.केंद्र सरकार ने 2004-05 में आरआरबी के संरचनात्मक विलय की पहल शुरू की थी, जिसके बाद तीन चरणों के एकीकरण के जरिये 2020-21 तक ऐसे बैंकों की संख्या 196 से घटकर 43 रह गई.
Merger of 15 rural banks
इन बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत किया गया था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं मुहैया करना था.आरआरबी अधिनियम में 2015 में संशोधन किया गया था, जिसके तहत ऐसे बैंकों को केंद्र, राज्यों और प्रायोजक बैंकों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई थी.
वर्तमान में, केंद्र सरकार के पास आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 35 प्रतिशत और 15 प्रतिशत हिस्सेदारी क्रमशः संबंधित प्रायोजक बैंकों और राज्य सरकारों के पास है.संशोधित अधिनियम के अनुसार, हिस्सेदारी कम करने के बाद भी केंद्र सरकार और प्रायोजक सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से कम नहीं हो सकती है.बैंक यूनियनों की प्रायोजक बैंकों के साथ विलय की मांगइसी साल जून में, बैंक यूनियनों एआईबीओसी और एआईबीईए ने बैंकिंग क्षेत्र की समग्र दक्षता और व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए आरआरबी को उनके संबंधित प्रायोजक बैंकों के साथ विलय करने की मांग की थी.
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) और अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा था कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का उनके प्रायोजक बैंकों के साथ विलय सहज तकनीकी बदलाव होगा.