कोरबा: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं को सुविधा मुहैया कराने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन तमाम दावे झूटे हैं। यह बात बीहड़ इलाके में रहने वाले पहाड़ी कोरवाओं के चुनाव बहिष्कार के फैसले ने साबित कर दिया है। सड़क, बिजली, पानी और मोबाइल कनेक्टिविटी जैसी मूलभूत सुविधा की मांग को लेकर सरकारी दफ्तर व जनप्रतिनिधियों का चक्कर काट थक चुके पहाड़ी कोरवाओं ने विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने गांव के सरहद पर चुनाव बहिष्कार का बैनर पोस्टर लगाया है, ताकि प्रचार के लिए पहुंचे प्रत्याशी भीतर प्रवेश न करें।
सड़कर बनी मुख्य समस्या
यह पूरा मामला जिले के रामपुर विधानसभा क्षेत्र का है। रामपुर विधानसभा में ग्राम पंचायत केरा कछार के आश्रित ग्राम सरडीह, बगधरी डांढ़ के अलावा खुर्रीभौना सहित आधे दर्जन गांव ऐसे हैं, जहां पहाड़ी कोरवा जनजाति परिवार निवास करते हैं। वे खेती किसानी के अलावा वनोपज संग्रहण कर जीविकोपार्जन करते हैं। इन गांवों में रहने वाले परिवारों को अभी भी पानी बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। पहाड़ी कोरवा व कुछ अन्य जनजाति के परिवार ढोढ़ी पानी का उपयोग करते हैं। उन्हें ऊर्जाधानी के रहवासी तो कहा जाता है, लेकिन बिजली नसीब नहीं है। उनके लिए सबसे बड़ी समस्या सड़क की है। वे सर्दी, गर्मी और बारिश के दिनों में भी पगडंडियों से होकर मुख्य मार्ग तक पहुंचते हैं।
किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान
ग्रामीणों का कहना है कि पानी, बिजली सड़क और मोबाइल कनेक्टिविटी जैसी सुविधा मुहैया कराने की मांग को लेकर वे सरकारी दफ्तरों और जनप्रतिनिधियों के चक्कर काटकर थक चुके हैं। उन्होंने पंचायत के माध्यम से ग्राम सभा में भी समस्याओं को प्रस्तावित कर प्रशासनिक अफसर तक पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन किसी भी प्रकार से पहल नहीं हुई। वे अब पूरी तरह से निराश हैं । ऐसे में उनके सामने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार के अलावा कोई भी रास्ता नहीं बचा।
ग्रामीणों ने अपनी मांग पूरी नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। सरकारी तंत्र और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ ग्रामीणों के आक्रोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बगधरी डांड सहित आसपास के पहाड़ी कोरवा गावों के सरहद पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार के बैनर पोस्टर लगाए गए हैं, ताकि कोई भी प्रत्याशी अथवा अफसर उनके गांव में न पहुंचे। यदि समस्या का निराकरण किया जाता है तो ही वे चुनाव में हिस्सा लेने की बात कह रहे हैं।