KORBA BIG BREAKING : एक चिंगारी मचा सकती थी तबाही… कोरबा कलेक्ट्रेट परिसर में 24 घंटे तक लावारिस पड़ा रहा 34 टन विस्फोटक, विवादित GST अफसर का नया कारनामा,इस लापरवाही से जा सकती थी हजारों लोगों की जान देखें VIDEO

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कोरबा (ब्लैकआउट न्यूज़ ) KORBA BIG BREAKING कोरबा जीएसटी विभाग में नव पदस्थ जीएसटी अफसर प्रभाकर उपाध्याय एवं अनिमोह सिंह बासवार का विवादों से चोली-दामन का साथ रहा है। पिछले दिनों व्यापारियों को बिना वजह नोटिस भेजने के मामले में व्यापारियों द्वारा शिकायत की गई थी। इसके बाद भी दोनों अफसर अपने पद पर बने हुए हैं, लेकिन लगता है कि विवादों से इनका गहरा नाता है।

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मात्र अपनी धौंस जमाने के लिए अति ज्वलनशील विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट से लदा 34 टन लोड वाला 18 चक्के का ट्रक 24 घंटे तक कलेक्ट्रेट परिसर में असुरक्षित ढंग से खड़ा रहा। इस बात को केवल वहीं के दोनों GST अफसर जानते थे, जबकि इस तरह के संवेदनशील मसले की जानकारी तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस के आला अधिकारियों, कलेक्टर और एसपी को देना चाहिए ताकि विस्फोटक भरे ट्रक की सुरक्षा अथवा सुरक्षित स्थान पर भेजने की व्यवस्था की जा सके।

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 GST विभाग के ये दोनों अफसर प्रभाकर उपाध्याय एवं अनिमोह सिंह बासवार, जो कोरबा में प्रारंभ से ही विवादों में रहे हैं, यह दोनों अपने आप की भी नहीं सुनते।

बताते चलें कि बुधवार शाम को GST के अफसरों ने अति ज्वलनशील विस्फोटक को कलेक्ट्रेट परिसर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में असुरक्षित ढंग से खड़ा कर दिया। ट्रक में 34 टन अमोनियम नाइट्रेट लोड था। इस लापरवाही से कलेक्ट्रेट परिसर में 24 घंटे तक खतरा मंडराता रहा। इस बात की जानकारी जीएसटी के दोनों अफसरों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से क्यों छुपाई, यह एक उच्च-स्तरीय जांच का विषय है।

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जैसे ही मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को मिली, आनन-फानन में उक्त भारी वाहन को अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। लेकिन जीएसटी के जो अफसर इस वाहन को जब्त कर लाए थे, उनके चेहरे पर जरा भी तनाव नजर नहीं आया।

इस मामले में गौर करने वाली बात यह है कि स्टेट GST विभाग के बड़े अफसरों को यह पता ही नहीं था कि ट्रक में क्या लोड है। ई-वे बिल और जीएसटी में गड़बड़ी की आशंका पर कार्रवाई की बात सामने आई है, जबकि अधिकारियों द्वारा बिल की जांच ट्रक में लोड सामान की जांच करने के पश्चात ही की जाती है, उसके बाद ही गाड़ी को जब्त किया जाता है और पेनल्टी की कार्रवाई होती है।

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कोरबा एक इंडस्ट्रियल बेल्ट है तथा यहां कई कोल माइंस हैं। इनके लिए बाहर से विस्फोटक लगातार मंगाया जाता है, जो प्रॉपर बिल और सभी पेपर फॉर्मेलिटी के बाद ही डिस्पैच किया जाता है। जिस ट्रक को पकड़ा गया था और कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ा किया गया था, जानकारी के अनुसार GST विभाग को उसमें ₹1 का भी राजस्व प्राप्त नहीं हुआ है।वहीं कलेक्ट्रेट परिसर में विभिन्न VIP, मंत्रीगण और जिले का पूरा स्टाफ मौजूद रहता है, जिन्हें जीएसटी अधिकारियों की लापरवाही से जान के खतरे में डालकर रखा गया था।

KORBA BIG BREAKING गुजरात से विस्फोटक भरकर कुष्मांडा के लिए आया था ट्रक 

गुजरात से अमोनियम नाइट्रेट लेकर कुसमुंडा जा रहे एक ट्रक को स्टेट जीएसटी विभाग ने कोरबा में रोक लिया। इस ट्रक पर लगभग 34 टन अमोनियम नाइट्रेट लोड था। ई-वे बिल और जीएसटी में गड़बड़ी की आशंका पर इसे बुधवार रात कलेक्ट्रेट कार्यालय परिसर स्थित जीएसटी विभाग के कार्यालय लाया गया और गुरुवार को पूरे दिन वहीं खड़ा रखा गया। शाम को ट्रक को परिसर से बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थान पर भेजा गया।

जानकार बताते हैं कि अमोनियम नाइट्रेट ज्वलनशील पदार्थ है जिसका उपयोग कोल माइंस में ब्लास्टिंग हेतु होता है। कुसमुंडा क्षेत्र स्थित IOC के IBP प्लांट के लिए यह लोड गुजरात से भेजा गया था। इसके पहले कि यह ट्रक IOC परिसर पहुंचता, इसे जब्त कर लिया गया।

KORBA BIG BREAKING ट्रक चालक बोलता रहा इसमें विस्फोटक नहीं सुनी गई उसकी बात 

 

ट्रक चालक लगातार अधिकारियों को बता रहा था कि इसमें अमोनियम नाइट्रेट लोड है, लेकिन अधिकारियों ने उसकी एक न सुनी। अपुष्ट जानकारी के अनुसार बिल में विसंगति बताते हुए गाड़ी को जब्त किया गया। ई-वे बिल में सामग्री की विस्तृत जानकारी उपलब्ध थी, फिर भी इसे कलेक्ट्रेट कार्यालय में दिनभर खड़ा रखा गया। जब मीडिया की नजर इस ट्रक पर पड़ी और ड्राइवर से बात की गई तब मामला कलेक्ट्रेट के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा। ज्वलनशील पदार्थ होने के कारण गाड़ी को अन्यत्र भेजा गया।

विभाग के अधिकारी ने बताया कि उन्हें लोड सामान के संबंध में जानकारी नहीं थी, जबकि ई-वे बिल में यह जानकारी साफ दर्ज रहती है। जीएसटी के मुख्य अधिकारी के रूप में जप्त वाहन में क्या सामान है यह न जानना अपने आप में गंभीर और हास्यास्पद है।

सूत्रों की मानें तो मामला कलेक्टर तक पहुंच गया था, जिसके बाद विभाग हरकत में आया और आनन-फानन में वाहन को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। इस तरह की लापरवाही को छोटी मोटी गलती नहीं माना जा सकता। इसकी संपूर्ण जांच होनी चाहिए।

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