नई दिल्ली। Important comment of Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि न्यायाधीशों को एक संत जैसा जीवन जीना चाहिए तथा पूरी मेहनत से काम करना चाहिए। साथ ही उन्हें इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल से बचना चाहिए। यही नहीं, शीर्ष कोर्ट ने कहा कि जजों को निर्णयों के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए।
Important comment of Supreme Court
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह मौखिक टिप्पणी की। पीठ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि न्यायपालिका में दिखावेपन के लिए कोई स्थान नहीं है। बर्खास्त महिला न्यायाधीशों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने पीठ के विचारों को दोहराते हुए कहा कि किसी भी न्यायिक अधिकारी या जज को न्यायिक कार्य से संबंधित कोई भी पोस्ट फेसबुक पर नहीं डालनी चाहिए।
Important comment of Supreme Court
यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल, जोकि न्यायमित्र हैं, द्वारा बर्खास्त महिला न्यायाधीश के खिलाफ विभिन्न शिकायतें पीठ के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद आई। अग्रवाल ने पीठ को बताया कि महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली थी। ग्यारह नवंबर, 2023 को शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था।
हालांकि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की पूर्ण बेंच ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया था जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया था। शीर्ष अदालत इन दोनों न्यायाधीशों के मामलों पर ही विचार कर रही है।