Guru Nakshatra Gochar: 14 मई को बृहस्पति ने मिथुन राशि में अतिचारी होकर गोचर कर चुके हैं और अब 14 जून 2025 शनिवार की मध्यरात्रि 12:07 बजे राहु के नक्षत्र आर्द्रा में प्रवेश कर गए हैं जो 13 अगस्त तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। जिससे देश-दुनिया में उथल-पुथल जारी रह सकती है।
इस साल 14 मई 2025 को जब देवगुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अतिचारी होकर गोचर प्रारंभ किया, तभी ज्योतिषीय गणनाओं में असामान्य हलचल दृष्टिगोचर होने लगी थी। और अब, 14 जून 2025, शनिवार को मध्यरात्रि 12:07 बजे, बृहस्पति ग्रह ने राहु के स्वामित्व वाले आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर लिया है। यह गोचर 13 अगस्त 2025 तक प्रभाव में रहेगा।
ज्योतिषाचार्य शैली प्रकाश ने पूर्व में ही इस परिवर्तन के गंभीर परिणामों की सटीक भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने संकेत दिए थे कि यह काल वैश्विक राजनीति, सामाजिक व्यवस्था, विज्ञान, और प्रकृति में बदलाव का होगा। इन सभी क्षेत्रों में तेज़ गति से होने वाले परिवर्तन और गंभीर घटनाक्रमों का संकेतक है।
आचार्य शैली प्रकाश के अनुसार जब भी गुरु ग्रह अतिचारी चाल (तेज़ गति) में चलता है, तब विश्व स्तर पर सामाजिक, राजनीतिक और प्राकृतिक उथल-पुथल देखने को मिलती है। उनके अनुसार महाभारत काल में, जब गुरु सात राशियों पर प्रभाव डाल रहा था, तब धर्म-अधर्म का महायुद्ध हुआ। लगभग 1000 वर्ष पहले भी इसी चाल के दौरान साम्राज्य बदले, धार्मिक संघर्ष बढ़े और सत्ता परिवर्तन हुए।
आधुनिक युग की बात करें तो प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी गुरु अतिचारी था, जिससे वैश्विक संतुलन हिल गया। हाल ही में 2018 से 2022 तक की गुरु की अतिचारी चाल ने कोरोना महामारी, आर्थिक संकट और वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया। यह दर्शाता है कि जब गुरु अपनी सामान्य गति से विचलित होता है, तब संसार में गहन परिवर्तन निश्चित होते हैं। आइए जानते हैं गुरु का अतिचारी गोचर कैसे वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालेगा।
वैश्विक राजनीति पर प्रभाव Guru Nakshatra Gochar

बृहस्पति का यह गोचर राजनीतिक जगत में भारी उथल-पुथल ला सकता है। दुनियाभर के कई देशों में सत्ता पक्ष के खिलाफ जनाक्रोश तीव्र हो सकता है। लोगों का धैर्य टूटने लगेगा, और सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन, जन आंदोलन और राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है। कुछ राष्ट्रों में यह आंदोलन इतने उग्र रूप ले सकते हैं कि वहां सत्ता परिवर्तन, तख्तापलट, या सेना द्वारा सत्ता ग्रहण जैसी स्थितियां बन सकती हैं।
इस दौरान, लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अविश्वास बढ़ेगा और राजनीतिक दलों के भीतर भी विभाजन और गुटबाजी की प्रवृत्ति जोर पकड़ेगी। कई जगहों पर नए नेतृत्व या वैकल्पिक विचारधाराओं की मांग जोर पकड़ेगी, जिससे राजनीतिक नवाचार और नई लहरों का उद्भव संभव है।
सामाजिक तनाव और गृहयुद्ध की आशंका Guru Nakshatra Gochar

देवगुरु बृहस्पति के गोचर का एक बड़ा असर सामाजिक और धार्मिक संरचनाओं पर भी पड़ने की संभावना है। विभिन्न जातीय, धार्मिक और वैचारिक समूहों के बीच मतभेद गहरे हो सकते हैं, जो अंततः सांप्रदायिक दंगे, नस्लीय संघर्ष, और आंतरिक गृहयुद्ध जैसी स्थितियों को जन्म देंगे। यह विशेष रूप से उन देशों के लिए खतरनाक हो सकता है जहां पहले से ही सामाजिक तनाव विद्यमान है। पहलगाम हमले के बाद भारत पाकिस्तान के मध्य हुआ युद्ध इस बात का प्रमाण है। अफ्रीका, मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया, और पूर्वी यूरोप जैसे क्षेत्रों में ऐसे तनाव बड़े संघर्षों में परिवर्तित हो सकते हैं। शरणार्थी संकट, विस्थापन और मानवीय त्रासदियां इस समय चरम पर पहुंच सकती हैं।
प्राकृतिक आपदाओं का कहर Guru Nakshatra Gochar

अतिचारी गुरु का प्रभाव वातावरण और मौसम पर सीधा पड़ने की संभावना है। इस गोचर के दौरान मौसम की असामान्यता, जैसे कि भारी वर्षा, चक्रवात, बाढ़, भूकंप, और ग्लेशियर विस्फोट जैसी घटनाएं तीव्र हो सकती हैं। समुद्रों का जलस्तर तेज़ी से बढ़ सकता है और कई द्वीपीय राष्ट्रों को इससे गंभीर खतरा हो सकता है।
हिमालय, आर्कटिक और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में ग्लेशियर पिघलना, हिमस्खलन और जलस्रोतों का असंतुलन जैसी घटनाएं जन-धन की भारी हानि का कारण बन सकती हैं। जलवायु परिवर्तन इस समय चरम पर रहेगा, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जीवन स्तर प्रभावित हो सकता है।
दुर्घटनाओं में वृद्धि Guru Nakshatra Gochar
यह काल यातायात, औद्योगिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भी संवेदनशील रहेगा। इस दौरान अति आत्मविश्वास के कारण दुर्घटनाएं अधिक हो सकती है। हवाई जहाज़, ट्रेनों, और जहाजों में तकनीकी खराबी या मानवीय भूलों के कारण गंभीर घटनाएं होंगी। इसका प्रमाण हमें बीते दिनों अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश में देखने को मिल चुका है। इसके अलावा, आगजनी, विस्फोट, गैस लीक, और फैक्ट्रियों में हादसे बढ़ सकते हैं। रक्षा उपकरणों और बिजली संयंत्रों में भी छोटी लापरवाहियां भारी तबाही का कारण बन सकती हैं। यह समय सरकारों और संगठनों के लिए सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ करने का संकेत देता है।
तकनीकी क्रांति Guru Nakshatra Gochar
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि यह गोचर सृजन और संघर्ष दोनों की ओर इशारा कर रहा है। जहां एक ओर गुरु का यह गोचर काल संघर्ष और संकट का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह तेजी से होने वाली तकनीकी प्रगति का भी द्योतक है। बृहस्पति ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा का प्रतिनिधि ग्रह है, और आर्द्रा नकहस्त्र उसमें ऊर्जा और शोध की तीव्रता भरता है।
इस काल में ड्रोन, रक्षा तकनीक, और अंतरिक्ष अनुसंधान में आश्चर्यजनक सफलताएं मिल सकती हैं। चंद्रमा, मंगल, और अन्य ग्रहों पर मानव मिशनों की गति तेज़ होने की संभावना है। वैज्ञानिक शोध, औषधि निर्माण, और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में भी नयी खोजें होंगी। इसके अलावा ए आई और क्वांटम कम्प्यूटिंग में क्रांतिकारी विकास संभव है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए blackout news उत्तरदायी नहीं है।
साभार अमर उजाला