Crisis on teachers बीएड सहायक शिक्षकों की सेवा सुरक्षा पर संकट, शिक्षकों ने आयोग को सौंपा ज्ञापन 

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रायपुर –Crisis on teachers छत्तीसगढ़ के सरगुजा और बस्तर संभाग के सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में पिछले डेढ़ साल से अपनी सेवाएं दे रहे 3000 से अधिक बीएड सहायक शिक्षकों की नौकरी पर आज गंभीर संकट मंडरा रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों के चलते इन शिक्षकों का भविष्य अनिश्चितता में है। इस संकट ने न केवल इन शिक्षकों की सेवाओं पर, बल्कि उनके आत्मसम्मान और समाज में उनकी पहचान पर भी गहरा आघात किया है।

  इस संबंध में लगभग 3000 चयनित बीएड उपाधि धारक सहायक शिक्षक जनप्रतिनिधियों से मिलकर मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौंप रहे हैं इस कड़ी में आज छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष से मिलकर मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौंपा ।

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इन शिक्षकों ने निवेदन की Crisis on teachers 

Crisis on teachers 
Crisis on teachers

हम लगभग 1500 चयनित सहायक शिक्षक बीएड उपाधि धारक आदिवासी  समाज से आते हैं , जिन्होंने कठिन परिस्थितियों और सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए यह मुकाम हासिल किया है। अबूझमाड़ और बस्तर जैसे दुर्गम और पिछड़े क्षेत्रों से आकर हमने शिक्षा को अपने समाज की प्रगति का माध्यम बनाया।

Crisis on teachers 

Crisis on teachers 
Crisis on teachers

हमारे समाज में शिक्षा तक पहुंच बेहद कठिन है।संसाधनों की कमी और सामाजिक पिछड़ेपन के बावजूद हमने पढ़ाई जारी रखी।सरकारी नौकरी के लिए मेहनत और परिश्रम से परीक्षा उत्तीर्ण की।आज हम न केवल शिक्षक हैं, बल्कि आदिवासी समाज की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं।

ज्ञात हो की सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के हालिया फैसलों ने बीएड धारक सहायक शिक्षकों की नियुक्तियों को अवैध ठहराया है।

इससे Crisis on teachers 

Crisis on teachers 
Crisis on teachers

1. नौकरी छिनने का खतरा – नौकरी समाप्त होने से शिक्षकों और उनके परिवारों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न होगा।

2. सामाजिक प्रतिष्ठा पर आघात – शिक्षक के रूप में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं इससे हमारी जो पहचान और सम्मान है, वह समाप्त हो जाएगा।

3. आदिवासी समाज पर नकारात्मक प्रभाव – हमारे समाज में शिक्षा के प्रति विश्वास और प्रेरणा को गहरा धक्का लगेगा।

हमारी मांग: न्याय और सेवा की सुरक्षा  Crisis on teachers 

 

हम मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी से अपील करते हैं, जो स्वयं आदिवासी समाज से आते हैं और संघर्ष के प्रतीक हैं , इस मामले में  माननीय हाई कोर्ट छत्तीसगढ़ के जज ने कहा था कि ये (चयनित बीएड अभ्यर्थी सहायक शिक्षक) पिछले डेढ़ वर्ष से कार्य कर रहे है इन्हें डिग्री के साथ अध्यापन का अनुभव भी हो गया हैं इन्हें सहायक शिक्षक से शिक्षक के रूप में भी समायोजित किया जा सकता हैं । अतः

1. हमारी नौकरी और सेवाओं को सुरक्षित किया जावे।

2. इस विकट परिस्थिति में स्थायी समाधान निकाला जावे।

3. आदिवासी समाज और समुदाय के विश्वास को संविधान में मजबूती प्रदान करें एवं राज्य में सक्षम बनाया जावे।

4.यदि हमारी नौकरी समाप्त की जाती है, तो यह केवल व्यक्तिगत नुकसान नहीं बल्कि राज्य के आदिवासी समाज को पीछे धकेलने का कार्य होगा।
5.शिक्षा के प्रति समाज का विश्वास कमजोर होगा।नई पीढ़ी को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना कठिन होगा।
6.शिक्षित व डिग्रीधारियों के संघर्ष और मेहनतकश की संदेश धूमिल होगा।

हमारी अपील Crisis on teachers 

 

हम सभी शासन,समाज और न्यायपालिका से यह विनम्र अपील करते हैं कि हमारी संघर्ष और सेवाओं को उचित समझा जाकर हमारी सेवाओं को सुरक्षित किया जावे। समाज के विश्वास और आत्मसम्मान को बनाए रखा जावे।इस समस्या का स्थायी और न्यायपूर्ण समाधान निकाली जावे।

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