Chanakya Niti आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति को सफलता का दर्पण कहा जाता है। इसमें सफलता के कई गुणों के विषय में विस्तार से बताया है। साथ ही यह भी बताया है कि जीवन में व्यक्ति को किन-किन बातों का ध्यान रखकर जीवन बिताना चाहिए। चाणक्य नीति में यह भी बताया है कि कि एक व्यक्ति को अपना व्यवहार कैसा रखना चाहिए?
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति को आज भी कई युवाओं द्वारा पढ़ा जाता है। चाणक्य नीति में सफलता प्राप्त करने के कई गुणों के विषय में विस्तार से बताया गया है। आचार्य की नीतियों में कई ऐसे गुण छिपे हुए हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति कई प्रकार की समस्याओं को आसानी से पार कर लेता है। चाणक्य नीति के इस भाग में हम ऐसे ही एक विषय पर बात करेंगे और जानेंगे कि व्यक्ति को अपना व्यवहार कैसा रखना चाहिए?
आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम् ।
सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ।।
अर्थात- व्यक्ति के आचरण से कुल का पता चलता है। बोली से देश का और आदर भाव से प्रेम का ज्ञान होता है। साथ ही शरीर देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है।
चाणक्य नीति के इस श्लोक में आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि व्यक्ति के आचरण से उसके कुल का पता चलता है। जिस व्यक्ति को अपने परिवार व शिक्षकों से अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है, उनका आचरण भी अच्छा और सौम्य होता है। यदि व्यक्ति का आचारण स्वीकार्य नहीं होता है तो पहला प्रश्न उसके कुल और परिवार के आदर्शों पर ही किया जाता है।
इसके बाद आचार्य चाणक्य बताते हैं कि बोली से व्यक्ति के देश का पता चलता है और आदर-सत्कार से यह ज्ञान होता है कि व्यक्ति के भीतर का स्वभाव कैसा है। अंत में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि एक व्यक्ति के शरीर से उसके भोजन या खान-पान का पता लगाया जा सकता है। व्यक्ति का शरीर यदि स्वस्थ है तो यह कहा जाता है कि व्यक्ति पौष्टिक आहार ग्रहण करता है और जो अपने खान-पान का ध्यान नहीं रखते हैं, उसका प्रभाव उनके शरीर पर साफ नजर आता है।