CG Toll Plaza Scam देशभर के 12 राज्यों के 200 टोल नाकों में फर्जी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर करोड़ों रुपए का फ्रॉड किया गया है। ये खेल छत्तीसगढ़ के कुम्हारी, भोजपुरी, महाराजपुर, मुदियापारा टोल प्लाजा में भी चल रहा था। इससे NHAI को करोड़ों का नुकसान हुआ है। UP स्पेशल टास्क फोर्स ने घोटाले को उजागर किया है।
STF के मुताबिक टोल प्लाजा से बिना फास्टैग (Fastag) के गुजरने वाले वाहनों को फ्री दिखाकर उनसे वसूला गया पैसा पर्सनल अकाउंट में ले रहे थे। ये सॉफ्टवेयर NHAI की तरह ही टोल पर्ची जनरेट करता था। आरोपियों से STF ने 2 लैपटॉप, 1 प्रिंटर, 5 मोबाइल, 1 कार और 19000 रुपए बरामद किए हैं।
कैसे देश भर में 200 टोल प्लाजा पर ये खेल चल रहा था?CG Toll Plaza Scam

आखिर दो साल तक आरोपी किस कारण बचते रहे? आगे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की टीम ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ क्या एक्शन ले सकती है।
अब जानिए कैसे हुआ खुलासा ?CG Toll Plaza Scam
यूपी STF के अधिकारियों के अनुसार टोल प्लाजा में फर्जीवाड़े की शिकायत लगातार मिल रही थी। शिकायत के आधार पर गोपनीय जांच शुरू की गई। संदेहियों पर नजर रखना शुरू किया। इस बीच मुखबिर की सूचना पर 21 जनवरी को तड़के 4 बजे मिर्जापुर के शिवगुलाम टोल प्लाजा पर छापेमारी की।
इस दौरान गोरखधंधे का खुलासा हुआ। एसटीएफ ने टोल प्लाजा के मैनेजर प्रयागराज निवासी राजीव कुमार मिश्रा, टोल पर्ची काटने वाले कर्मी सीधी (मप्र) निवासी मनीष मिश्रा को गिरफ्तार किया है। ये दोनों गिरफ्तारी वाराणसी से पकड़े गए जौनपुर निवासी आलोक कुमार सिंह के खुलासे के बाद हुई है।
कुम्हारी स्थित टोल प्लाजा पहुंची भास्कर की टीम CG Toll Plaza Scam

NHAI के अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर दैनिक भास्कर की टीम कुम्हारी स्थित टोल प्लाजा पहुंची। इस दौरान दैनिक भास्कर से टोल प्लाजा के कर्मचारियों ने बताया, कि उन्हें इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं। उनके प्लाजा में अब तक किसी भी तरह की टीम नहीं आई है।
टोल प्लाजा पर ऐसे होती है टैक्स की वसूली CG Toll Plaza Scam

देशभर में NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स की वसूली दो तरह से होती है।
1, फास्टैग से: फास्टैग लगे वाहनों को टोल पर लगा सेंसर कैच कर लेता है और अकाउंट से पैसे कट जाते हैं।
2. कैश काउंटर: जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं लगा होता है या
जो किसी तरह की छूट प्राप्त होते हैं, ऐसे वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर अलग काउंटर होता है। वहां टैक्स का पैसा कैश वसूला जाता है। इसके लिए स्लिप दी जाती है।
अब जानिए कैसे फर्जीवाड़ा करता था गिरोह ?

ये गिरोह टोल प्लाजा के बूथ कम्प्यूटर में NHAI के अलावा खुद का बनाया सॉफ्टवेयर अपलोड किया था। फास्टैग वाले वाहनों से वसूली कर खुद की जेब में भर रहे थे। सॉफ्टवेयर अपलोड करने वालों के अलावा टोल प्लाजा का ठेका लेने वाले, वहां के कर्मचारी भी शामिल हैं।
NHAI बिना फास्टैग वाले वाहनों से जुर्माना के तौर पर डबल टोल शुल्क वसूलता है। गिरोह के सदस्य NHAI की बजाय अपने इंस्टॉल किए गए सॉफ्टवेयर से पर्ची काटते थे। सॉफ्टवेयर के जरिए टोल प्लाजा से बिना फास्टैग (Fastag) के गुजरने वाले वाहनों को फ्री दिखाकर उनसे वसूला गया पैसा पर्सनल अकाउंट में डालते थे।
अब जानिए किसने बनाया सॉफ्टवेयर, कौन है मास्टरमाइंड ?
दरअसल, NHAI के सॉफ्टवेयर में अलग से सॉफ्टवेयर बनाने और इंस्टॉल करने वाले का नाम आलोक सिंह है, वह वाराणसी का है। आलोक MCA पास है। पहले रिद्धि-सिद्धि कंपनी के टोल प्लाजा में काम करता था। वहीं से टोल प्लाजा का ठेका लेने वाली कंपनियों और फर्मों के संपर्क में आया।
इसके बाद टोल प्लाजा मालिकों की मिलीभगत से एक सॉफ्टवेयर बनाया। टोल प्लाजा पर लगे NHAI कंप्यूटर में अपना बनाया सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिया, जिसका एक्सेस अपने लैपटॉप से कर लिया। इसमें टोल प्लाजा के आईटी कर्मियों ने भी साथ दिया।
इन राज्यों में सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया
आलोक ने इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में संचालित 42 टोल पर खुद ये सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है। बाकी पर अन्य किसी से इंस्टॉल कराने की बात कही जा रही है।
जानिए सॉफ्टवेयर बनाने की कहानी ?
आरोपी आलोक को पता था कि देश के सभी टोल प्लाजा पर फास्ट टैग अनिवार्य है। बिना फास्ट टैग के टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों से पेनाल्टी के रूप में दोगुना टोल टैक्स वसूला जाता है। इस दोगुने शुल्क वसूली का गबन करने के मकसद से उसने सॉफ्टवेयर को बनाया।
इस दौरान टोल प्लाजा मालिकों की मिलीभगत से एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया, जो NHAI के सॉफ्टवेयर की तरह ही काम करता है।
50 प्रतिशत NHAI के खाते में जमा करना होता है पैसा
नियम के मुताबिक फास्टैग रहित वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स का 50 प्रतिशत NHAI के खाते में जमा करना होता है, लेकिन आलोक सिंह के सॉफ्टवेयर के माध्यम से उस पैसे को गायब कर देते थे। NHAI को नहीं देते थे।
आरोपी आलोक सिंह ने बताया कि घोटाले के रुपए टोल प्लाजा मालिकों, आईटी कर्मियों और अन्य कर्मचारियों के बीच बांटे जाते थे। दो अन्य आरोपियों सावंत और सुखांतु की देखरेख में करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा था।
ये कार्रवाई हो सकती है पैसा वसूलने वाली एजेंसियों पर
अधिवक्ता विपिन अग्रवाल के अनुसार STF ने जिस तरह की अनियमितताएं उजागर की हैं, ऐसे मामलों में टोल प्लाजा के एजेंसी संचालकों के खिलाफ सीधी कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में एजेंसी संचालक का अनुबंध निरस्त किया जा सकता है।
साथ ही एनएच अथॉरिटी उसकी सिक्योरिटी जमा जब्त कर सकती है, जो भी धोखाधड़ी में शामिल होगा, उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
साभार दैनिक भास्कर