नई दिल्ली: भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता की तारीफ नासा चीफ बिल नेल्सन ने भी की है. उन्होंने शुक्रवार को मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि भारत ने कुछ ऐसा किया है जो किसी अन्य देश ने नहीं किया, इसीलिए वह इस उपलब्धि के लिए हर तरह से प्रशंसा के हकदार हैं. उन्होंने कहा, “भारत को मेरी बधाई. आप चंद्रमा के साउथ पोल के चारों तरफ सबसे पहले उतरे हैं, हमारे पास एक वाणिज्यिक लैंडर होगा जो अगले साल उतरेगा, लेकिन यहां उतरने वाला पहला है. दूसरों ने भी कोशिश की और वह विफल रहे, लेकिन भारत ने सफल हासिल की. इस उपलब्धि के लिए आप हर तरह से प्रशंसा के हकदार हैं, यह बहुत ही महत्वपूर्ण है.”
स्पेस स्टेशन बनाने में भारत की मदद करेगा US
बिल नेल्सन ने एनआईएसएआर मिशन का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर क्या हो रहा है, इसका पता लगाने के लिए चार प्रमुख ऑब्जर्वेटरी की उपलब्धि के साथ एक पूर्ण 3डी समग्र मॉडल स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा, “यह प्रमुख ऑब्जर्वेटरी है, जिसे हम भारत सरकार के साथ स्थापित कर रहे हैं. यहां चार प्रमुख ऑब्जर्वेटरी हैं. एक बार जब हम कक्षा में पहले से ही मौजूद 25 अंतरिक्ष यानों के साथ चारों को ऊपर ले आएंगे, तो हमारे पास एक पूर्ण 3डी समग्र मॉडल होगा, जो वास्तव में है पृथ्वी पर घटित हो रहा है. हम अपने घर को संरक्षित करना चाहते हैं.”
बिल नेल्सन ने कहा, “एनआईएसएआर इन ऑब्जर्वेटरी में पहली है. यह पृथ्वी की सभी सतहों का निरीक्षण करेगी. यह पानी, जमीन और बर्फ में होने वाले किसी भी बदलाव को देखेगी. यह डेटा का एक और सेट होगा जो हमारी मदद करेगा. समझिए पृथ्वी के साथ क्या हो रहा है… यह मिशन अगले साल के पहले हिस्से में आ रहा है. रॉकेट को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने प्रदान किया गया, और फिर हमने मिलकर अंतरिक्ष यान बनाया है, इसे इसरो बैंगलुरू में में तैयार किया जा रहा है.”
नासा-इसरो के बीच एक जॉइंट अर्थ-ऑब्जर्वेशन मिशन
बिल नेल्सन ने एनआईएसएआर मिशन का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर क्या हो रहा है, इसका पता लगाने के लिए चार प्रमुख ऑब्जर्वेटरी की उपलब्धि के साथ एक पूर्ण 3डी समग्र मॉडल स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा, “यह प्रमुख ऑब्जर्वेटरी है, जिसे हम भारत सरकार के साथ स्थापित कर रहे हैं. यहां चार प्रमुख ऑब्जर्वेटरी हैं. एक बार जब हम कक्षा में पहले से ही मौजूद 25 अंतरिक्ष यानों के साथ चारों को ऊपर ले आएंगे, तो हमारे पास एक पूर्ण 3डी समग्र मॉडल होगा, जो वास्तव में है पृथ्वी पर घटित हो रहा है. हम अपने घर को संरक्षित करना चाहते हैं.”
बिल नेल्सन ने कहा, “एनआईएसएआर इन ऑब्जर्वेटरी में पहली है. यह पृथ्वी की सभी सतहों का निरीक्षण करेगी. यह पानी, जमीन और बर्फ में होने वाले किसी भी बदलाव को देखेगी. यह डेटा का एक और सेट होगा जो हमारी मदद करेगा. समझिए पृथ्वी के साथ क्या हो रहा है… यह मिशन अगले साल के पहले हिस्से में आ रहा है. रॉकेट को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने प्रदान किया गया, और फिर हमने मिलकर अंतरिक्ष यान बनाया है, इसे इसरो बैंगलुरू में में तैयार किया जा रहा है.”
नासा-इसरो के बीच एक जॉइंट अर्थ-ऑब्जर्वेशन मिशन
एनआईएसएआर, नासा और इसरो के बीच एक जॉइंट अर्थ-ऑब्जर्वेशन मिशन है, जो शोधकर्ताओं को यह पता लगाने में मदद करेगा कि पृथ्वी के जंगल और आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन वैश्विक कार्बन चक्र और जलवायु परिवर्तन को कैसे प्रभावित कर रहे हैं. एनआईएसएआर भी नासा और इसरो का एक जॉइंट मिशन है, और कक्षा में होने पर, इसका उन्नत रडार सिस्टम हर 12 दिनों में दो बार पृथ्वी की लगभग भूमि और बर्फ की सभी सतहों को स्कैन करेंगे. इसके द्वारा इकट्ठा किया गया डेटा शोधकर्ताओं को कार्बन को पकड़ना और छोड़ना, दोनों पारिस्थितिक तंत्र प्रकारों के दो प्रमुख कार्यों को समझने में मदद करेगा.
हम फिर से चंद्रमा पर जा रहे-NASA चीफ
नासा एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा कि वह फिर से चंद्रमा पर जा रहे हैं, और इस बार उनके साथ उनके अंतरराष्ट्रीय साझेदार होंगे और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहले मिशन पर एक अंतरराष्ट्रीय दल होगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में भारत से विस्तारित वाणिज्यिक निवेश के लिए एक जबरदस्त अवसर है. अब नासा में, हमारे पास वाणिज्यिक भागीदार हैं, इसलिए, उदाहरण के लिए, हम चंद्रमा पर वापस जा रहे हैं, लेकिन इस बार हम अपने वाणिज्यिक भागीदारों और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ के साथ वापस जा रहे हैं. चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहले मिशन में, जो अब से एक साल बाद होगा, इसमें अंतर्राष्ट्रीय दल होगा, इसलिए वाणिज्यिक प्रयास हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक बड़ा हिस्सा हैं.
भारत दौरे पर NASA चीफ बिल नेल्सन
बता दें कि नासा एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने गुरुवार को बेंगलुरू में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) का दौरा किया, जहां नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एनआईएसएआर) उपग्रह का 2024 में निर्धारित लॉन्च से पहले परीक्षण किया जा रहा है.