तीन बार के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष चुने गए। वे मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल थे, लेकिन विष्णुदेव साय के सीएम बनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष की चर्चा हो गई। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के बाद डॉ. रमन 2003 से 2018 तक 15 साल प्रदेश के मुखिया रहे। 2018 में भाजपा चुनाव हारी और कांग्रेस के भूपेश बघेल को कमान मिली। अब 5 साल में सत्ता वापसी के बाद रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए हैं।
यह नाम बीजेपी हाईकमान ने लोकसभा चुनाव के मैनेजमेंट को नजर में रखते भी लिया है। पर्यवेक्षकों में झारखंड के पूर्व C
रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष क्यों ?
15 सालों तक मुख्यमंत्री रहते हुए रमन सिंह खुद को साबित कर चुके हैं। पार्टी ने इस चुनाव में भी उन्हें चेहरे के तौर पर आगे ही रखा। टिकट वितरण में रमन सिंह की ही चली। बीजेपी हाईकमान की नजर लोकसभा चुनाव पर है। रमन सिंह का मैनेजमेंट भाजपा को जीत की ओर ले जा सकता है। रमन सिंह हिन्दू धर्म से और जाति से राजपूत हैं, लेकिन सभी वर्गों में स्वीकार्य नेता भी हैं। बेहद अनुभवी हैं।
जब पहली बार CM बने
छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद 2003 में पहला विधानसभा चुनाव होना था। तीन सालों में अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस और मजबूत हुई थी, लेकिन बीजेपी में बिखराव की स्थिति थी। ऐसे में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने दो वरिष्ठ सांसदों रमेश बैस और दिलीप सिंह जूदेव को प्रदेश बीजेपी की कमान देनी चाही, लेकिन वे तैयार नहीं हुए।
इसके बाद नायडू ने फोन कर डॉ. रमन से बात की तो वे तैयार हो गए, लिहाजा उन्हें ये जिम्मेदारी दे दी गई। फिर साल 2003 के चुनाव में बीजेपी को 90 में से 50 सीटों पर जीत मिली। इसके बाद रमन सिंह छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। 2018 तक डॉ. रमन सिंह 15 सालों तक प्रदेश के CM रहे।
4 करोड़ की संपत्ति, पर 21 लाख का लोन भी
चुनाव आयोग में दिए शपथ पत्र के अनुसार डॉ रमन सिंह पास 4 करोड़ की संपत्ति है। वहीं, उनकी पत्नी के पास 1.21 करोड़ और बच्चों के पास 2.53 करोड़ की प्रॉपर्टी है। उनकी इनकम के सोर्स में सैलरी-भत्ते, खेती, किराया और सेविंग पर ब्याज दर्ज है।
M अर्जुन मुंडा के अलावा केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और पार्टी नेता दुष्यंत कुमार गौतम को रायपुर भेजा गया था।