सीएमएचओ डॉ केशरी ने कर दिया वो कारनामा जिससे आ गए विवादों में

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कोरबा-सैयां भये कोतवाल तो फिर डर काहे का ये लाइन फिट बैठती है कोरबा के स्वास्थ्य महकमे पर ! यहां मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एस एन केशरी ने कुछ कर्मियों को इस कदर छूट दे रखी है जिससे वो मनमानी पर उतर आए है। मसलन स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की कोरबा जिला अकॉउंट मैनेजर मंजू भगत को इस कदर आज़ादी है कि वो जब मन तब ऑफिस आ सकती है जब मन किया तो बिना बताए अवकाश ले लेती है ये एक दो दिन के अवकाश की रजिस्टर में एंट्री तक नहीं होती है लेकिन जब बात आती है महीनों की तब रास्ता तलाशा जाता है, जी हां अपने सही पढ़ा मैडम महीनों भी अपने टेबल से गायब रह चुकी है। वेतन साहब को जारी करना है इसलिए कोई शो काज नोटिस तक नहीं दिया जाता है.

प्रबंध संचालक से हुई शिकायत पर परिणाम सिफ़र रहा

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कुछ समय पहले एक पत्र प्रबंध संचालक को जरूर भेजा गया था लेकिन पत्र में भी महीनों के जगह 1 माह ही बिना बताए अवकाश का जिक्र था लेकिन सूत्र बताते है कि वहां भी पहले से चिट्टी का जवाब चिट्टी की शक्ल में तैयार था लिहाजा चेतावनी और एक माह का नो वर्क नो पेमेंट की शक्ल में तनख्वाह नहीं दी गई लेकिन दर्शाए अबधि जो नहीं दर्शाया गया उस दौरान की पूरी तनख्वाह घर पहुंच सेवा दी गई है।

ये आरोप नहीं प्रमाणित है

हम ये आरोप नहीं लगा रहे बल्कि पुख्ता प्रमाण है जिस दिन मैडम पहुंची (कागजों में) कुछ तो काम किया होगा अकॉउंट देखती है कोई बिल बनाया होगा, कोई नोटशीट साइन किया होगा किसी से कोई बात की होगी लेकिन नहीं ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलेगा, मिलेगा तो केवल एक डॉक्टर का एक ही दिन में तैयार किया हुआ मेडिकली फिट और अनफिट का प्रमाणपत्र। दफ्तर के अधिकारी से लेकर कर्मचारी यहां तक कि पानी पिलाने वाले भईया-दीदी भी जानते है कि मैडम काम कम छुट्टी ज्यादा लेती है लेकिन साहब की विशेष कृपा प्राप्त मैडम (डैम) का कभी कभी ही वेतन कटता है।

 

मज़े की बात तो ये है कि पहले संयुक्त रूप से ग्राउंड फ्लोर पर चेम्बर साझा करने वाली डैम मैडम अब पहली मंजिल में व्यक्तिगत चेम्बर तक रखती है। इसलिए भी पता नहीं लगता मैडम कब आई और कब चली गई। खुद साहब को भी फोन करने पर ही मैडम का पता लग पाता है।

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