रामलला की पहली आरती को राजस्थान से 650kg घी आया:5 बैलगाड़ी ने 10 दिनों में 1200km की दूरी तय की; थाइलैंड से मिट्टी भी लाई गई

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राजस्थान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे घी को स्वीकार करते ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (लाल स्वेटर) और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र।अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की पहली आरती के लिए राजस्थान से 6.5 क्विंटल यानी 650 किलो घी अयोध्या लाया गया। खास बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं, बल्कि रथ (बैलगाड़ी) से लाया गया है। 5 रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए निकले थे।

10 दिन में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करके गुरुवार सुबह अयोध्या के कारसेवकपुरम पहुंचे। यहां राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र को घी सौंपा गया। रथ के साथ ही 108 छोटे शिवलिंग भी लाए गए हैं। इसके अलावा, गुरुवार को थाइलैंड से मिट्टी और कंबोडिया से हल्दी भी अयोध्या लाई गई।

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इस दौरान चंपत राय ने कहा-महाराणा प्रताप के क्षेत्र से भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा की आरती के लिए घी आया है। जिन गो माताओं के दूध से ये घी बना है। उन सभी को साल 2017 में जोधपुर में काटने से बचाया गया था। उन सबको बकायदा 9 महीने तक रामचरितमानस का पाठ सुनाया गया। इसके बाद उनके दूध से घी बनाकर अयोध्या लाया गया।

राजस्थान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे घी को स्वीकार करते ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (लाल स्वेटर) और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र।

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की पहली आरती के लिए राजस्थान से 6.5 क्विंटल यानी 650 किलो घी अयोध्या लाया गया। खास बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं, बल्कि रथ (बैलगाड़ी) से लाया गया है। 5 रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए निकले थे।

10 दिन में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करके गुरुवार सुबह अयोध्या के कारसेवकपुरम पहुंचे। यहां राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र को घी सौंपा गया। रथ के साथ ही 108 छोटे शिवलिंग भी लाए गए हैं। इसके अलावा, गुरुवार को थाइलैंड से मिट्टी और कंबोडिया से हल्दी भी अयोध्या लाई गई।

इस दौरान चंपत राय ने कहा-महाराणा प्रताप के क्षेत्र से भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा की आरती के लिए घी आया है। जिन गो माताओं के दूध से ये घी बना है। उन सभी को साल 2017 में जोधपुर में काटने से बचाया गया था। उन सबको बकायदा 9 महीने तक रामचरितमानस का पाठ सुनाया गया। इसके बाद उनके दूध से घी बनाकर अयोध्या लाया गया।

राजस्थान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे घी को स्वीकार करते ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (लाल स्वेटर) और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र।

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की पहली आरती के लिए राजस्थान से 6.5 क्विंटल यानी 650 किलो घी अयोध्या लाया गया। खास बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं, बल्कि रथ (बैलगाड़ी) से लाया गया है। 5 रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए निकले थे।

10 दिन में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करके गुरुवार सुबह अयोध्या के कारसेवकपुरम पहुंचे। यहां राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र को घी सौंपा गया। रथ के साथ ही 108 छोटे शिवलिंग भी लाए गए हैं। इसके अलावा, गुरुवार को थाइलैंड से मिट्टी और कंबोडिया से हल्दी भी अयोध्या लाई गई।

इस दौरान चंपत राय ने कहा-महाराणा प्रताप के क्षेत्र से भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा की आरती के लिए घी आया है। जिन गो माताओं के दूध से ये घी बना है। उन सभी को साल 2017 में जोधपुर में काटने से बचाया गया था। उन सबको बकायदा 9 महीने तक रामचरितमानस का पाठ सुनाया गया। इसके बाद उनके दूध से घी बनाकर अयोध्या लाया गया।

राजस्थान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे घी को स्वीकार करते ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (लाल स्वेटर) और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र।

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की पहली आरती के लिए राजस्थान से 6.5 क्विंटल यानी 650 किलो घी अयोध्या लाया गया। खास बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं, बल्कि रथ (बैलगाड़ी) से लाया गया है। 5 रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए निकले थे।

10 दिन में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करके गुरुवार सुबह अयोध्या के कारसेवकपुरम पहुंचे। यहां राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र को घी सौंपा गया। रथ के साथ ही 108 छोटे शिवलिंग भी लाए गए हैं। इसके अलावा, गुरुवार को थाइलैंड से मिट्टी और कंबोडिया से हल्दी भी अयोध्या लाई गई।

इस दौरान चंपत राय ने कहा-महाराणा प्रताप के क्षेत्र से भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा की आरती के लिए घी आया है। जिन गो माताओं के दूध से ये घी बना है। उन सभी को साल 2017 में जोधपुर में काटने से बचाया गया था। उन सबको बकायदा 9 महीने तक रामचरितमानस का पाठ सुनाया गया। इसके बाद उनके दूध से घी बनाकर अयोध्या लाया गया।

राजस्थान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे घी को स्वीकार करते ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (लाल स्वेटर) और सदस्य डॉ. अनिल मिश्र।
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